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यूक्रेन में आसमान से बरस रही आग, कई शहरों में ढाया कहर

Subhi
4 March 2022 12:47 AM GMT
यूक्रेन में आसमान से बरस रही आग, कई शहरों में ढाया कहर
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रूसी हमले के आठवें दिन बृहस्पतिवार को यूक्रेन के आसमान से आग बरसती देखी गई। यहां कीव, खारकीव, लवीव, झाइतोमिर, माइकोलेव और कीव ओब्लास्ट समेत कई इलाकों में टैंकों के गोले कहर ढाते देखे गए।

रूसी हमले के आठवें दिन बृहस्पतिवार को यूक्रेन के आसमान से आग बरसती देखी गई। यहां कीव, खारकीव, लवीव, झाइतोमिर, माइकोलेव और कीव ओब्लास्ट समेत कई इलाकों में टैंकों के गोले कहर ढाते देखे गए। जबकि रूस पर लगाए गए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की आंच रूसियों को भी झुलसाने लगी है। देश में न तो भुगतान तंत्र काम कर रहा है और न ही नकदी की निकासी हो पा रही है।

कुल मिलाकर, रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों में इस युद्ध के चलते आम आदमी दहशत में है। यूक्रेन में रूस की क्रूज मिसाइलों ने सरकारी इमारतों और अन्य आबादी वाले हिस्सों में हमले बढ़ा दिए हैं। यूक्रेन के मुख्य शहरों में रूसी सेना के घुसने से वहां मानवीय संकट खड़ा हो गया है। लोगों के पास राशन नहीं है और खाने-पीने के लिए भी लोग बंकरों से बाहर नहीं आ रहे हैं।

कई शहरों में पलायन करने वाले लोग वहां की दुकानों में लूटपाट कर आगे बढ़ रहे हैं। इस बीच, कीव समेत माइकोलेव, लवीव, झाइतोमिर शहरों में रेड अलर्ट जारी कर लोगों से नजदीकी शिविरों में पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। दूसरी तरफ, रूसी मुद्रा रूबल विदेशी मुद्रा में नहीं बदल पा रही है। पश्चिमी देशों की पाबंदियों के चलते यहां नकदी निकासी प्रभावित हो गई है।

एटीएम के बाहर लंबी कतारें हैं और कई बैंकों के कार्ड को एटीएम स्वीकार नहीं कर रहे हैं। एप्पल द्वारा रूस में उत्पाद बिक्री रोक दी गई है। एप्पल-पे के यहां काम न करने के कारण बसों, कैफे और जरूरी जगहों पर भुगतान रुक गया है। सुपरमार्केट में भी प्रति व्यक्ति सामान खरीद की मात्रा सीमित कर दी गई है। विदेशी कंपनियों के रूस में कारोबार बंद करने से कई लोग सड़कों पर आ गए हैं।

यूक्रेन पर युद्ध थोपने के चलते रूस में भी आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। विपक्ष की नेता यूलिया गालयेमिना ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, रूसी लोग दाम बढ़ने की समस्या से जूझ रहे हैं, बुजुर्गों की पेंशन रुक गई है। उन्होंने लिखा, दवाइयों और चिकित्सीय उपकरणों की कमी हो रही है। हम 1990 को अब कम खराब वक्त के तौर पर याद करेंगे। लेकिन मेरा सवाल है कि यह सब 'किस लिए'?

समुद्र में दिखी परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बी

यूक्रेन हमले को लेकर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन द्वारा एटमी हमले के हाई अलर्ट के बीच परमाणु हथियारों से लैस रूस की पनडुब्बी बैरेंट्स सागर में गश्त करती देखी गई है। रूस के परमाणु हथियार हमले के लिए तैयार स्थिति में हैं। रूस ने यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति कर रहे नाटो देशों पर हमले न करने की गारंटी देने से भी इनकार कर दिया है। जबकि रूसी विदेश मंत्री ने कहा है कि रूस किसी भी कीमत पर यूक्रेन को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। बता दें कि यूक्रेन के पास पूर्व सोवियत संघ के समय से ऐसे हथियार बनाने की तकनीक है।

यूक्रेन पर रूसी हमले की जहां अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो देश निंदा कर रहे हैं वहीं रूस में भी कुछ दिनों से हमले के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। इस बीच, भारतीय समयानुसार बृहस्पतिवार को भी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के गृहनगर सेंट पीटर्सबर्ग में पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में उग्र प्रदर्शन जारी रहे। इस दौरान कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।

इन प्रदर्शनों के पीछे पुतिन के धुर विरोधी नेता एलेक्सी नवेलनी की अपील को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जो उन्होंने जेल में बंद रहते हुए रूसियों से की। उन्होंने कहा था कि रूस को डरे हुए कायरों का देश नहीं होना चाहिए। नवेलनी ने अपील की थी कि रूस अमनपसंद देश बनना चाहता है लेकिन अफसोस बहुत कम लोग अब इसे अमनपसंद देश कहेंगे। उन्होंने अपील की कि लोग सड़कों पर उतरें और शांति के लिए लड़ाई लड़ें।

यूएन की शरणार्थी एजेंसी ने बृहस्पतिवार को बताया कि रूस के हमला करने के बाद से 10 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर चले गए हैं। इस सदी में पहले कभी इतनी तेज गति से पलायन नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पलायन करने वाले लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है।

एजेंसी का अनुमान है कि यूक्रेन से अंतत: 40 लाख लोग पलायन कर सकते हैं और यह संख्या अनुमान से भी अधिक हो सकती है। यूएनएचसीआर की प्रवक्ता जोंग-आह घेदिनी-विलियम्स ने एक ईमेल में यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रांडी ने ट्वीट किया, हमने मात्र सात दिन में यूक्रेन से पड़ोसी देशों में 10 लाख लोगों का पलायन देखा है।

यूक्रेन छोड़कर जाने वाले इन लोगों में समाज के अधिकतर कमजोर वर्ग के लोग शामिल हैं, जो पलायन को लेकर स्वयं फैसला करने में सक्षम नहीं हैं और उनकी यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उन्हें सहायता की आवश्यकता है। हंगरी के शहर जाहोनी में 200 से अधिक दिव्यांग यूक्रेनी पहुंचे, जो यूक्रेन की राजधानी कीव में दो आश्रय गृहों में रहते थे। शरणार्थियों में कई बच्चे भी शामिल हैं। इनमें कई लोग मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम भी हैं।


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