विश्व
दुनिया में 'टायरों के सबसे बड़े कब्रिस्तान' में लगी आग, अंतरिक्ष से नजर आए 'काले बादल'
Renuka Sahu
9 Aug 2021 3:29 AM GMT
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फाइल फोटो
कुवैत के सुलैबिया क्षेत्र में बने दुनिया के सबसे बड़े 'टायरों के कब्रिस्तान' में आग लग गई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुवैत के सुलैबिया क्षेत्र (Sulaibiya Area of Kuwait) में बने दुनिया के सबसे बड़े 'टायरों के कब्रिस्तान' (World's Biggest Tyre Graveyard) में आग लग गई है. रेतीली मिट्टी खोदकर बनाए गए एक विशाल गड्डे में करीब 70 लाख टायर हैं. छह एकड़ में फैली यह जगह आग की चपेट में है और यहां से उठ रहे धुएं को अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है. सैटेलाइट तस्वीरों में भी यह अग्निकांड रिकॉर्ड हुआ है.
अब Tyre जमा करने पर उठे सवाल
'द सन' की रिपोर्ट के अनुसार, सुलैबिया के इस टायर भंडार को 'टायरों का सबसे बड़ा कब्रिस्तान' कहा जाता है. माना जाता है कि ये टायर कुवैत और दूसरे देशों के हैं, जिन्होंने इन्हें ले जाने के लिए भुगतान किया है. डिस्पोजल की जिम्मेदारी चार कंपनियों को दी गई है. वहीं, आग लगने के बाद अब ऐसे दहनशील पदार्थों को एक ऐसे देश में जमा करने पर सवाल उठ रहे हैं, जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है.
Kuwait has the biggest tyre dump in the world. It is now on fire. pic.twitter.com/RsaqMnyJFC
— Extinction Rebellion (@ExtinctionR) August 6, 2021
2012 में भी हुई थी ऐसी घटना
वहीं, कुवैत की सरकार ने 30 सालों से जमा टायरों का डिस्पोजल शुरू कर दिया है. रिसाइकिल किए जाने वाले 95 फीसदी टायरों को हटाने की योजना है. 2012 में कुवैत के एक दूसरे टायर डंप (Kuwaiti Tyre Dump) में आग लगने से 50 लाख टायर जल गए थे. बता दें कि कई देशों के लिए इस्तेमाल किए जा चुके टायरों का डिस्पोजल एक समस्या बनी हुई है. टायरों को जलाने से हवा में कार्सिनोजेनिक डाइऑक्साइन्स (Carcinogenic Dioxins) निकलते हैं. ये प्रदूषक अस्थमा और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
Britain में है ये व्यवस्था
ब्रिटेन (Britain) की बात करें तो यहां हर साल अनुमानित 486,000 टन टायर फेंके जाते हैं. लगभग सभी को रिसाइकिल या दोबारा इस्तेमाल किया जाता है. 1970 और 1980 के दशक में अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया में डिस्कार्ड टायरों का इस्तेमाल करते एक कृत्रिम चट्टान (Artificial Reefs) बनाने का प्रयास किया गया था. हालांकि तूफान के दौरान टायरों के उखड़ जाने से वे पर्यावरण के लिए विनाशकारी साबित हो गए थे.
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