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अप्रवासियों की संख्या दोगुना बढ़ाएगा फिनलैंड 2030 तक तीनगुना बढ़ाए जाएंगे छात्र इनटर्न

Rani Sahu
22 Dec 2022 11:16 AM GMT
अप्रवासियों की संख्या दोगुना बढ़ाएगा फिनलैंड 2030 तक तीनगुना बढ़ाए जाएंगे छात्र इनटर्न
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हेलसिंकी । कुशल कामगारों की भारी कमी से जूझ रहे यूरोपीय देश फिनलैंड ने एक अहम फैसला करते हुए देश में आने वाले कामगार अप्रवासियों की संख्या को दोगुना और 2030 तक अंतर्राष्ट्रीय छात्र इंटर्नशिप की संख्या को तीन गुना करने की योजना बनाई है।
फिनलैंड के आर्थिक मामलों और रोजगार मंत्री तुउला हैटेनेन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा कि भारतीय कामगारों के लिए उनका देश उपक्त जगह है। विदेश मंत्री वी मुरलीधरन के साथ माइग्रेशन और गतिशीलता को लेकर एक संयुक्त घोषणा पत्रपर हस्ताक्षर करते हुए हैटेनेन ने कहा कि फ़िनलैंड प्रौद्योगिकी और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और नर्सिंग के क्षेत्र में भारतीय श्रमिकों को आकर्षित करना चाहता है। हालांकि मंत्री ने कहा उनकी सरकार अप्रवासियों के लिए रास्ता आसान करने की उम्मीद करती है लेकिन फिलहाल नागरिकता का रास्ता अभी उपलब्ध नहीं हो सकता है। हैटेनेन ने कहा कि हम देखते हैं कि भारत में बहुत प्रतिभावान पेशेवर हैं जिनकी हमें फिनलैंड में जरूरत है। हमें अधिक कार्यबल प्रतिभा पेशेवरों और कुशल लोगों की आवश्यकता है। अगर वे फिनलैंड आना चाहते हैं यह दोनों पक्षों के लिए बढि़या अवसर है कि लोग विदेश जाएं और वहां कुछ कमाएं और कुछ सीखें।
इस संदर्भ में विदेश मंत्रालय ने कहा छात्रों विद्वानों शोधकर्ताओं व्यापार और पेशेवरों की गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने और अवैध अप्रवासन से निपटने के इरादे से संयुक्त घोषणा पर पिछले सप्ताह हस्ताक्षर किए गए थे। भारत ने हाल ही में इस साल जर्मनी और पिछले साल यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ इसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कुशल भारतीय श्रम में रुचि पूरे यूरोप में श्रमिकों की भारी कमी के बीच आती है क्योंकि व्यवसाय पिछले दो वर्षों में कोविड के नुकसान और सीमा बंद होने से उबर रहे हैं। फिनलैंड विशेष रूप से लगभग 5.5 मिलियन निवासियों का देश है जहां कार्यबल केवल लगभग 2.5 मिलियन है और सेवानिवृत्त लोगों की संख्या बढ़ रही है।
श्रम मंत्रालय द्वारा मार्च में किए गए एक सर्वेक्षण और उद्योग सर्वेक्षणों से पता चला है कि 70 प्रतिशत से अधिक फिनिश कंपनियां अब कुशल श्रम की कमी से जूझ रही हैं। हैटेनेन ने कहा कि उनकी सरकार अनुसंधान और विकास में अपने सकल राष्ट्रीय उत्पाद का लगभग 4 फीसदी निवेश करना चाहती है लेकिन इसके लिए अधिक प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता है। नतीजतन फिनलैंड श्रम प्रवासियों और परिवारों को डे केयर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ स्थानीय भाषा सिखाने की आधी लागत की पेशकश करके राहत प्रदान करता है।

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