संयुक्त राष्ट्र विकट वित्तीय संकट के कारण दुनियाभर के बहुत से देशों के लाखों लोगों के लिए खाद्य, नकदी के भुगतान और सहायता में कटौती करने के लिए मजबूर हुआ है। एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि भुखमरी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है पर विश्व निकाय की ओर से दिए जाने वाले दान में करीब आधी गिरावट देखने को मिली है। विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के उपकार्यकारी निदेशक कार्ल स्काऊ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिन 86 देशों में डब्ल्यूएफपी संचालित होता है उनमें से कम से कम 38 देशों में पहले ही कटौती देखी जा चुकी है या जल्द ही सहायता में कटौती की योजना है। इन देशों में अफगानिस्तान, सीरिया, यमन और पश्चिम अफ्रीका के देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफपी के संचालन के लिए 20 अरब अमेरिकी डॉलर की जरूरत है ताकि हर जरूरतमंद तक सहायता पहुंचाई जा सके, लेकिन एजेंसी ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान 10 से 14 अरब अमेरिकी डॉलर ही प्राप्त किए हैं।
स्काऊ ने कहा कि मानवीय जरूरतें वर्ष 2021 और 2022 में कोविड-19 महामारी एवं यूक्रेन युद्ध तथा इसके वैश्विक प्रभाव के कारण बहुत अधिक बढ़ गई थीं। उन्होंने कहा, ‘‘वे जरूरतें अनवरत रूप से बढ़ रही हैं, क्योंकि इसके कारण वहां अब भी मौजूद हैं। लेकिन धन तेजी से खत्म हो रहा है। इसलिए हम वर्ष 2024 में स्थिति को और भयावह होता देख रहे हैं।’’ अधिकारी ने कहा कि आज खाद्य एवं पोषण से जुड़ा इतिहास का सबसे बड़ा संकट मौजूद है। स्काऊ ने कहा कि इस साल 34.5 करोड़ लोगों का गंभीर खाद्य असुरक्षा से जूझना जारी है जबकि करोड़ों लोगों पर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है। स्काऊ ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान जलवायु परिवर्तन, कई आपदाओं, खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति का बरकरार रहना और बढ़ते कर्ज से उपजे तनाव के साथ-साथ संघर्ष और असुरक्षा दुनियाभर में गंभीर भुखमरी की प्राथमिक वजह बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह स्पष्ट है कि सहायता बजट और मानवीय बजट, दोनों ही यूरोप और अमेरिका में उस स्तर पर नहीं हैं, जहां वे वर्ष 2021-22 में थे।’’
इसके पहले स्काऊ ने मार्च में कहा था कि अफगानिस्तान में भुखमरी के आपात स्तर का सामना कर रहे समुदायों के राशन में डब्ल्यूएफपी को 75 से 50 फीसदी की कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसी तरह मई में 80 लाख लोगों के लिए खाद्य सहायता में कटौती करने के लिए इसे बाध्य होना पड़ा था, और यह संख्या उन लोगों की संख्या की 66 फीसदी है जिन्हें यह मदद मुहैया कराता है। उन्होंने कहा कि अब यह केवल 50 लाख लोगों की मदद कर रहा है। सीरिया में डब्ल्यूएफपी पर निर्भर 55 लाख लोगों को पहले से ही 50 फीसदी राशन के साथ संतोष करना पड़ रहा था, लेकिन एजेंसी ने जुलाई में इनमें से 25 लाख लोगों के राशन में पूरी तरह कटौती कर दी। स्काऊ ने कहा कि गंभीर भुखमरी के बढ़ते संकट का सामना कर रहे पश्चिमी अफ्रीका के देशों में से ज्यादातर के राशन में कटौती की गई है जिनमें बुर्किना फासो, माली, चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, नाइजीरिया, नाइजर और कैमरून शामिल हैं।