x
पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह तालिबान का मुकाबला करने के लिए पंजशीर आ गए और यहां वह अहमद मसूद के एनआरएफ से जुड़ गए.
पंजशीर प्रांत में अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स और तालिबान के बीच लड़ाई तेज हो गई है. ऐसी खबर है कि यहां जारी लड़ाई में बीती रात अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के भाई रोहुल्लाह सालेह (Rohullah Saleh) की मौत हो गई है. वहीं दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं. हालांकि अभी तक इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है. तालिबान का दावा है कि उसके आतंकी उस लाइब्रेरी तक पहुंच गए हैं, जहां से कुछ दिन पहले अमरुल्लाह सालेह ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था. अब इसी लाइब्रेरी में बंदूक पकड़े एक आतंकी बैठा दिख रहा है.
इरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजशीर प्रांत में दोनों तरफ से लड़ाई अब भी जारी है. वहीं सामने आई तस्वीर में एक आतंकी उसी जगह पर बैठा है, जहां कुछ दिन पहले जारी एक वीडियो में अमरुल्ला सालेह बैठे हुए थे. अहमद मसूद के समर्थक मार्शल दोस्तम ने ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित अतंरराष्ट्रीय समुदाय (Panjshir Taliban Fight) से कहा है कि वह तालिबान को मान्यता देने में जल्दबाजी ना दिखाएं. उन्होंने ये भी कहा है कि तालिबान ने जिस कैबिनेट का गठन किया है, उसमें ईनामी वैश्विक आतंकी भी शामिल हैं.
अहमद मसूद के हथियारों पर कब्जा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तालिबान ने अहमद मसूद को भी तगड़ा झटका दिया है और उनके हथियारों के गोदाम को अपने कब्जे में ले लिया है. तालिबान ने एक वीडियो जारी कर अपने दावों की पुष्टि की है (Taliban in Panjshir). पंजशीर में जहां तक तालिबान पहुंचा है, वहां घर-घर जाकर लोगों के साथ हिंसा कर रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि यहां सैकड़ों लोगों को मारा गया है. हालांकि मौत के वास्तविक आंकड़े क्या हैं, इसे लेकर अभी कुछ पता नहीं चला है.
कभी कोई नहीं कर पाया कब्जा
पंजशीर अफगानिस्तान का इकलौता ऐसा प्रांत है, जहां कभी कोई कब्जा नहीं कर सका है. तालिबान 1996-2001 के अपने पिछले शासन में यहां तक पहुंच पाने में नाकाम रहा था और इस बार भी कुछ यही हुआ. 15 अगस्त को काबुल में प्रवेश तक तालिबान ने पूरे देश पर कब्जे का दावा किया था लेकिन वो पंजशीर पर कब्जा नहीं कर सका. यहां 'पंजशीर के शेर' के नाम से मशहूर अहमद शाह मसूद (Ahmad Shah Massoud) के बेटे अहमद मसूद एनआरएफ का नेतृत्व कर रहे हैं. अफगान सरकार के गिरने के बाद पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे लेकिन पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह तालिबान का मुकाबला करने के लिए पंजशीर आ गए और यहां वह अहमद मसूद के एनआरएफ से जुड़ गए.
Next Story