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रूस पर प्रतिबंध लगाने जारी रखा है, तो भी चीन इन प्रतिबंधों को गलत बता रहा है.
अमेरिका (US) के पूर्व रक्षा अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को ताइवान (Taiwan) पहुंचेगा, जो यहां चीन (China) का खतरा बढ़ने की आशंका के बीच दोनों पक्षों के बीच संवाद को तेज करने का संकेत है. ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के पूर्व अध्यक्ष माइकल मुलेन पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे, जो मंगलवार को यहां पहुंचेगा और दो दिवसीय यात्रा के दौरान ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग वेन और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेगा.
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल के अलावा अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ बुधवार को ताइवान पहुंचेंगे. केंद्रीय खुफिया एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष पोम्पिओ भी साई से मुलाकात करेंगे और शनिवार को यहां से रवाना होने से पहले एक मंच को संबोधित करेगे. मंत्रालय ने बताया, 'पूर्व विदेश मंत्री पोम्पिओ की यात्रा ताइवान के लिए अमेरिका के मजबूत सहयोग के प्रति उसके पूर्ण द्विदलीय सहयोग को दर्शाती है.'
बल प्रयेग कर सकता है चीन
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद स्वशासित लोकतंत्र ताइवान पर कब्जा करने के लिए चीन द्वारा बल प्रयोग किए जाने की आशंका बढ़ गई है. चीन ताइवान पर अपना दावा करता है. ताइवान एक गृह युद्ध के बाद साल 1949 में मुख्य चीनी भूभाग से राजनीतिक रूप से अलग हो गया था. इसके केवल 15 औपचारिक राजनयिक सहयोगी हैं, जबकि वो व्यापार से जुड़े कार्यालयों के जरिए अमेरिका और जापान समेत सभी प्रमुख देशों के साथ अनौपचारिक संबंध रखता है.
ताइवान में कई बार की घुसपैठ
चीन ने बीते साल से ताइवान में घुसपैठ करना तेज कर दिया है. इसके अलावा वो रूस का भी समर्थन कर रहा है. चीन ने यूक्रेन की संप्रभुता को सही बताते हुए भी रूस की तरफदारी की. उसने नाटो जैसे संगठनों का नाम लिए बिना कहा कि रूस अपनी रक्षा करने का अधिकार रखता है. इसके साथ ही जब यूक्रेन पर हो रहे हमलों के कारण दुनियाभर के देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने जारी रखा है, तो भी चीन इन प्रतिबंधों को गलत बता रहा है.
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