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यूक्रेन में डर और तबाही का मंजर, जानें रूस को क्‍यों चाहिए उसकी जमीन?

jantaserishta.com
25 Feb 2022 8:05 AM GMT
यूक्रेन में डर और तबाही का मंजर, जानें रूस को क्‍यों चाहिए उसकी जमीन?
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Russia Ukraine War: क्षेत्रफल की दृष्टि से रूस दुनिया का सबसे विशाल देश है. विश्‍व का 11 प्रतिशत लैंडमास अकेले रूस के पास है. यह 11 टाइमज़ोन लंबा है और इसका तटीय क्षेत्र 36000 किमी लंबा है. देश की सीमाएं 17 मिलियन वर्ग किमी में फैली हैं. इसके बावजूद भी, रूस के यूक्रेन पर हमले की सबसे बड़ी वजह यूक्रेन का भू-भाग हथियाना ही है. आखिर क्‍यों जरूरी है रूस के लिए यूक्रेन? आइये समझते हैं.

यूक्रेन की जियोग्राफी यानी भूगोल उसे खास बनाता है. बता दें कि यूक्रेन, रूस के बाद यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है. भले ही रूस का तटीय क्षेत्र लंबा है, मगर इसका उत्तरी गोलार्ध में अधिक होने की वजह से यहां का पानी पूरे साल गर्म नहीं रहता है. तट लगभग आधे साल के लिए जम जाते हैं, जिसके चलते वहां अच्छे बंदरगाह नहीं स्‍थापित हो सकते. व्यापार के लिए पूरे साल चलने वाले बंदरगाह जरूरी हैं और उसके लिए जरूरी है गर्म पानी के तट. यूक्रेन के पास यही एक खास‍ बात है.
यूक्रेन के तट ब्‍लैक सी (Black Sea) के साथ लगे हुए हैं जो भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) से जुड़ता है. यह पूरी दुनिया से व्‍यापार का रास्‍ता खोलता है. रूस के लिए ये किसी खजाने से कम नहीं है.


USSR के पतन के बाद, उज्‍बेकिस्‍तान और कज़ाखिस्‍तान रूस की ओर आ गए, जबकि रोमानिया, लिथुआनिया आदि देश पश्चिम और NATO के साथ हो गए. यूक्रेन बीच में फंस गया. यूक्रेन के पूर्वी हिस्से ने रूस का समर्थन किया जबकि पश्चिमी हिस्‍से यूरोपीय संघ के समर्थन में रहे.
यूक्रेन के पास क्रीमिया के क्षेत्र में एक गर्म पानी का बंदरगाह सेवस्तापोल था, जो दक्षिणी हिस्‍से में निकला हुआ एक इलाका है. यह व्‍यापार की दृष्टि से बेहद अहम है. इस गर्म पानी के बंदरगाह का उपयोग करने और व्यापार के लिए अपने जहाजों को चलाने के लिए रूस के पास लीज़ थी, लेकिन अगर यूक्रेन यूरोपीय संघ या NATO में चला जाता तो इससे रूस को यह बंदरगाह खोने का जोखिम था.
रूस को अभी भी भूमध्य सागर तक पहुंचने के लिए NATO के सदस्य तुर्की (Turkey) द्वारा नियंत्रित बोस्फोरस चैनल को पार करना होता है. तुर्की रूसी व्यापार जहाजों को आने-जाने की अनुमति देता तो है, लेकिन रूस पर दबाव बनाने के लिए कभी भी इसे रोक सकता है. इसलिए, रूस के लिए यह जरूरी है कि वह यूक्रेन को पश्चिम में जाने नहीं दे सकता.
यूक्रेन अपने हितों के लिए कभी यूरोपीय संघ तो कभी रूस के साथ जुड़ता रहा है. 2013 में, जब यूक्रेन के यूरोपीय संघ में जाने की संभवना थी, तक पुतिन ने फौरन क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और अपने लिए बंदरगाह ले लिया. यूक्रेन ने यूरोपीय संघ में जाने की योजना तो छोड़ दी, मगर क्रीमिया पर नियंत्रण खो दिया.
अब यूक्रेन खुद को NATO के साथ शामिल करने की कवायद कर रहा था. यदि ऐसा होता, तो अमेरिका यूक्रेन, रोमानिया और तुर्की का उपयोग करके रूस को अपने व्यापार से काटने की योजना बना सकता था. महाशक्ति रूस ऐसा खतरा मोल नहीं ले सकता, इसलिए यूक्रेन को फिर घुटनों पर लाने के लिए पुतिन ने सैन्‍य कार्रवाई शुरू कर दी है. इस युद्द का नतीजा दुनिया के नक्शे में फिर कोई बदलाव कर सकता है.
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