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धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए नहीं किए जाने की मांग की थी।
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा अमेरिकी चरमपंथियों को अमेरिकी धरती पर हमले की साजिश रचने के लिए प्रेरित कर सकता है। रे ने सीनेट होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी के सामने कहा कि घरेलू आतंकवाद के मामले 2020 से लगभग 1,000 संभावित जांच से 2,700 तक बढ़ गए हैं। चरमपंथी समूहों ने कभी भी अमेरिकी धरती पर हमले की साजिश रचना बंद नहीं किया है।
द हिल की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर की निदेशक क्रिस्टीन अबिजैद ने भी समिति से कहा कि तालिबान के कब्जे के बाद देश के लिए आतंकवाद का खतरा दो दशक पहले की तुलना थड़ा बढ़ा है। अबिजैद ने यह भी कहा कि अमेरिकी अधिकारी इस बात की निगरानी कर रहे हैं कि अल कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) आतंकवादी समूह कैसे अपनी सेना का पुनर्निर्माण कर सकते हैं और अमेरिका पर हमले को अंजाम दे सकते हैं।
वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी20 देशों से कहा कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किसी भी प्रकार से नहीं करने देने की अपनी प्रतिबद्धता लागू करनी चाहिए। जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें उच्चस्तरीय सत्र के इतर बुधवार को जी20 के विदेश मंत्रियों की एक बैठक को संबोधित किया, जिसमें अफगानिस्तान में मौजूदा हालात पर चर्चा की गई।
अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद तालिबान ने पिछले महीने वहां अपना कब्जा कर लिया है। तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं किया जाएगाा। भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी ने अगस्त में एक प्रस्ताव पारित कर अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए नहीं किए जाने की मांग की थी।
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