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हैष वर्तमान में उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं।
इस्लामाबाद: मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखने वाली वैश्विव संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का दो दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है। इस दौरान शुक्रवार को पाकिस्तान, ईरान, तुर्की, उत्तर कोरिया जैसे देशों के भविष्य का भी फैसला किया जाएगा। इनमें से कई देश एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट और ग्रे लिस्ट में शामिल हैं। पाकिस्तान को उम्मीद है कि शुक्रवार को उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से मुक्ति मिल जाएगी। जून में हुई बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को लेकर सकारात्मक संकेत दिए थे। एफएटीएफ ने कहा है कि पाकिस्तान के काम को साइट पर जाकर सत्यापित करने के बाद ग्रे लिस्ट से हटाने पर फैसला किया जााएगा। उसके बाद अक्टूबर में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने दावा किया था कि एफएटीएफ की तकनीकी टीम का दौरा सफल रहा। जिसके बाद से पाकिस्तान अब अक्टूबर में मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की उम्मीद कर रहा है।
पाकिस्तान के लिए इसका क्या मतलब होगा
पाकिस्तान को 2018 में आतंकवाद को धन मुहैया करवाने के आरोप में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। इसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए व्यापर सुधार कार्यक्रम की एक लिस्ट सौंपी थी। ऐसे में अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया जाता है तो उसे फिर से अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिल सकता है। पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर यह ढिंढोरा पीट सकता है कि उसने आतंकवाद के खिलाफ काम किया है। जबकि, पूरी दुनिया यह सच जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद का पनाहगाह और वैश्विक निर्यातक देश है। पाकिस्तान के ही पाले-पोसे आतंकवादी पूरी दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। यहां तक कि पाकिस्तान से सहायता प्राप्त आतंकी अब तालिबान प्रशासित अफगानिस्तान में हमले कर रहे हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर
अर्थशास्त्री और सिटीग्रुप के पूर्व बैंकर यूसुफ नजर ने कहा कि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने पर पहले से ही मुश्किलों से जूझ रही अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान से जुड़े वैश्विक लेनदेन की जांच कम करने में मदद मिल सकती है। दो बड़े पाकिस्तानी बैंकों, एचबीएल और नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान कंप्लायंस फेल्योर्स और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के उल्लंघन में अमेरिकी नियामकों के लगाए जुर्मान के तौर पर 2017 में 225 मिलियन डॉलर और 2022 में 55 मिलियन डॉलर का भुगतान कर चुके हैं। मूडीज ने पाकिस्तान की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग गिराई है। ऐसे में एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आना पाकिस्तान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। पाकिस्तान में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ने का अनुमान जताया जा रहा है।
एफएटीएफ के प्रतिबंधों का क्या अर्थ होता है
एफएटीएफ का कहना है कि ग्रे लिस्ट में होने का मतलब वित्तीय संस्थानों के ऊपर अतिरिक्स सावधानी बरतने का दबाव डालना नहीं है। एफएटीएफ ऐसे देशों के साथ काम करते समय संबंधित जोखिमों पर विचार करने की आवश्यकताओं पर बल देता है। एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को अपनी गतिविधियों को बंद करने और उल्लंघन करने वाले देशों के साथ जुड़ने या सरकार को फाइनेंस से जुड़ी एडवाइज दे सकता है। अगर देश इसके बावजूद नहीं मानते हैं और उनके यहां आतंकवाद को पैसे मिलते रहते हैं तो उन्हें ग्रे लिस्ट या ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा देशों को उच्च जोखिम वाली लिस्ट में भी डाला जा सकता हैष वर्तमान में उत्तर कोरिया और ईरान एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल हैं।
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