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साहित्य में योगदान के लिए उन्हें 2007 में ‘नाइट’ की उपाधि दी गई.
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी की हमले से उबरने के बाद एक आंख की रोशनी चली गई है और एक हाथ से वह अब कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. सलमान रुश्दी के साहित्यिक एजेंट ने यह जानकारी दी है. पश्चिमी न्यूयॉर्क में अगस्त में एक साहित्यिक कार्यक्रम में एक शख्स ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया था, जिसके बाद से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.
साहित्यिक एजेंट एंड्रयू वायली ने शनिवार को प्रकाशित एक लेख में स्पेनिश भाषा के समाचार पत्र 'एल पेस' को बताया कि हमले में रुश्दी की गर्दन पर तीन गंभीर घाव और उनके सीने व धड़ पर 15 घाव आए हैं. उनकी एक आंख की रोशनी चली गई और एक हाथ ने काम करना बंद कर दिया है.
जारी हुआ था फतवा
मुंबई में जन्मे रुश्दी (75) के उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज के प्रकाशन के बाद ईरान के अयातुल्ला खामनेई ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था. इस वजह से रुश्दी ने कई साल छिपकर गुजारे. हालांकि पिछले दो दशकों में, उन्होंने स्वतंत्र रूप से यात्रा की.
हमला करने का आरोपी न्यूजर्सी के फेयरव्यू का हादी मतेर जेल में बंद है. हमले के बाद रुश्दी का पेनसिलवेनिया के अस्पताल में इलाज हुआ जहां कुछ समय उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. वायली ने बताया कि इस बर्बर हमले में रुश्दी के बांह की नसें कट गईं. वायली ने अखबार से कहा कि वह यह नहीं बताएंगे कि रुश्दी अस्पताल में ही हैं या फिर कहां हैं. वायली ने कहा, वह जीवित हैं...यह सबसे महत्वपूर्ण चीज है. भारत ने प्रसिद्ध लेखक रुश्दी पर भयानक हमले की निंदा और उनके जल्द ठीक होने की कामना की थी.
भारत ने की थी निंदा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अगस्त में कहा था, भारत हमेशा हिंसा और चरमपंथ के खिलाफ खड़ा रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भयानक हमले की निंदा करते हैं और हम उनके जल्द ठीक होने की कामना करते हैं. रुश्दी पर हुए हमले की वैश्विक स्तर पर निंदा हुई थी. हमले के बाद, ईरान ने हमलावर के साथ किसी भी तरह के जुड़ाव से इनकार किया था. रुश्दी का जन्म 1947 में मुंबई में हुआ.उन्होंने इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल के बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी. साहित्य में योगदान के लिए उन्हें 2007 में 'नाइट' की उपाधि दी गई.
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