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विदेश मंत्री ने अमेरिका से अफगानिस्तान की केंद्रीय बैंक की संपत्ति को तुरंत जारी करने का किया आह्वान

Bharti sahu
22 Nov 2021 2:30 PM GMT
विदेश मंत्री ने अमेरिका से अफगानिस्तान की केंद्रीय बैंक की संपत्ति को तुरंत जारी करने का किया  आह्वान
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तालिबन के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | तालिबन के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है। देश के बिगड़ते हालात को लेकर कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अमेरिका से अफगानिस्तान की केंद्रीय बैंक की संपत्ति को तुरंत जारी करने का आह्वान किया है।

टोलोन्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मुत्ताकी ने कहा कि अमेरिका अब अफगानिस्तान के साथ युद्ध में शामिल नहीं है और अफगान संपत्ति को फ्रीज करने का उसका कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में संपत्ति को फ्रीज करने का क्या कारण है? यह संपत्ति इस्लामी अमीरात की नहीं बल्कि अफगानिस्तान के लोगों की है। मुत्तकी ने सवाल किया कि अमेरिका ने हमारी संपत्ति को फ्रीज कर दिया और फिर हमसे कहा कि वह हमें मानवीय सहायता प्रदान करेगा। इसका क्या मतलब है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि अफगानिस्तान की संपत्ति को फ्रीज करने का असर गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे अफगानिस्तान के लोगों पर पड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक तजर कक्कड़ का कहना है कि सर्दी को मौसम चल रहा है। लोग बहुत खराब स्थिति का सामना कर रहे हैं। बच्चों की हालत गंभीर है। दुनिया को अफगानिस्तान के लोगों के बारे में सोचना चाहिए।
इससे पहले, मुत्ताकी ने अमेरिकी कांग्रेस को एक पत्र लिखकर सांसदों से अफगानिस्तान में तीव्र आर्थिक और मानवीय संकट का हवाला देते हुए अफगान संपत्ति को मुक्त करने का आग्रह किया गया था। पत्र के जवाब में अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थामस वेस्ट ने कहा कि तालिबान ने अपने पत्र में देश के आर्थिक और मानवीय संकट के बारे में गलत तथ्यों को पेश किया।
अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति बिगड़ती जा रही है और इसके साथ ही तालिबान के देश पर नियंत्रण करने के बाद से सुरक्षा की स्थिति और खराब हो गई है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने चेतावनी दी है कि जब तक अफगानिस्तान को तत्काल मानविय सहायता नहीं पहुंचाई जाएगी, तबतक लाखों अफगान नागरिकों को इस सर्दियों में भुखमरी का सामना करना पड़ेगा। डब्ल्यूएफपी के अनुसार हालात ज्लद नहीं सुधरें तो लगभग 23 मिलियन (2.3 करोड़) लोग या अफगानिस्तान की आधी आबादी के अधिक लोगों को अगले साल मार्च तक खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तरों का सामना करना पड़ सकता है।


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