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रूस-यूक्रेन जंग पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर- हमने चुना शांति का पक्ष, नरसंहार की निंदा की
jantaserishta.com
6 April 2022 8:01 AM GMT
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नई दिल्ली: यूक्रेन के बूचा शहर में हुए कथित नरसंहार पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि खून बहाकर और मासूमों को मारकर किसी भी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत के जरिए इस समस्या को हल निकालना चाहिए और अगर भारत इसमें मध्यस्थता करता है तो हमें खुशी होगी.
यूक्रेन की स्थिति पर लोकसभा में चर्चा के दौरान विदेश मंत्री ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भारत किसी भी संघर्ष के खिलाफ है. खून बहाकर और मासूमों को मारकर समस्या का हल नहीं निकल सकता. आज के समय में बातचीत और कूटनीति से किसी भी विवाद को सुलझाया जा सकता है.
कई सांसदों ने बूचा में घटना को उठाया। हम रिपोर्टों से बहुत व्यथित हैं। हम वहां हुई हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं। यह एक अत्यंत गंभीर मामला है, हम स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं: लोकसभा में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर pic.twitter.com/9uZy8Q1qdA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 6, 2022
उन्होंने बूचा शहर में हुए आम नागरिकों की हत्या की निंदा करते हुए स्वतंत्र जांच करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि हम वही फैसला कर रहे हैं जो हमारे हित में है. ऐसी कठिन स्थिति में, हर देश ऐसी नीतियां अपनाता है जो उसके लोगों को सुरक्षा दे.
जयशंकर ने कहा कि भारत अगर किसी का साइड लेगा, तो वो शांति का होगा. उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी चाहिए. जयशंकर ने बताया कि भारत दौरे पर आए रूसी विदेशी मंत्री सर्गेई लावरोव को भी यही संदेश दिया गया था. अगर भारत इसमें कोई मदद कर सकता है तो हमें खुशी होगी.
रूस-यूक्रेन जंग पर भारत के रूख पर क्या बोले जयशंकर?
लोकसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के संघर्ष ने न सिर्फ दुनिया बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है. बाकी देशों की तरह ही, हमने भी वही किया जो हमारे हित में था. उन्होंने कहा कि आज के समय में हर देश एक-दूसरे पर निर्भर है. इसलिए भले ही कोई देश अपने शब्दों से अपनी स्थिति बता रहा हो, लेकिन वो भी ऐसी नीतियां अपनाते हैं, जिसमें उनके अपने लोगों की भलाई हो. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में भारत को क्या करना चाहिए? जब ऊर्जा (तेल और गैस) की कीमतें बढ़ रही थीं, तो हम ये सुनिश्चित करना चाहते थे कि भारत के आम लोगों पर किसी भी तरह बेवजह बोझ न बढ़े.
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