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इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विस्फोटकों से लदे ड्रोन विस्फोट, कम से कम 10 नागरिक घायल

Neha Dani
9 Oct 2021 6:31 AM GMT
इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विस्फोटकों से लदे ड्रोन विस्फोट,  कम से कम 10 नागरिक घायल
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इस वजह से यमन में गंभीर मानवीय संकट भी खड़ा हो गया है.

सऊदी अरब (Saudi Arabia) के दक्षिण-पश्चिमी सीमावर्ती शहर जाजान (Jazan) में किंग अब्दुल्ला बिन अब्दुलअजीज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (King Abdullah bin Abdulaziz International Airport) पर विस्फोटकों से लदे ड्रोन विस्फोट में कम से कम 10 नागरिक घायल हो गए. एक हफ्ते के भीतर किया गया इस तरह का ये दूसरा हमला है. सऊदी प्रेस एजेंसी (SPA) ने बताया कि शुक्रवार देर रात यमन (Yemen) से हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) द्वारा ड्रोन से हमला किया गया. ड्रोन हमले की वजह से मलबे की चपेट में आने से 10 लोग घायल हुए.

सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन के आधिकारिक प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल तुर्क अल-मलिकी ने बाद में शुक्रवार को बताया कि घायलों में छह सऊदी, तीन बांग्लादेशी नागरिक और सूडान के एक नागरिक सहित सिविलियन यात्री और एयरपोर्ट के कर्मचारी शामिल हैं. विस्फोट की तीव्रता ने एयरपोर्ट पर कांच की खिड़कियां तोड़ दिया और इसकी चपेट में आने वाले लोगों को मामूली चोटें आईं. हूती विद्रोहियों द्वारा बुधवार को देश के दक्षिण-पश्चिमी असिर प्रांत में अबाह इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओर एक और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) लॉन्च किया गया था. इसके बाद यह हमला हुआ है. इस हमले में कथित तौर पर कम से कम चार एयरपोर्ट कर्मचारी घायल हुए थे.
2015 से यमन में जारी है युद्ध
यमन और हूती विद्रोहियों के बीच विवाद की शुरुआत सितंबर 2014 में हुई थी, जब ईरान (Iran) समर्थित मिलिशिया ने राजधानी सना (Sanaa) पर कब्जा जमा लिया था. विद्रोही समूह ने राष्ट्रपति अबेद रब्बी मंसूर हादी की सरकार को गिरा दिया और पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह द्वारा समर्थित अपने सहयोगी बलों के साथ सर्वोच्च राजनीतिक परिषद का गठन किया. इस घटनाक्रम के बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने यमन की सरकार की मान्यता दी. वहीं, मार्च 2015 से दोनों मुल्कों ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग छेड़ दिया. इस युद्ध की वजह से राष्ट्रपति हादी को देश से सऊदी अरब भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.
यमन में खड़ा हुआ मानवीय संकट
जनवरी 2021 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति माइक पोम्पियो ने हूती विद्रोहियों को 'विदेशी आतंकवादी संगठन' घोषित करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि, जो बाइडेन (Joe Biden) के प्रशासन ने एक महीने बाद राष्ट्रपति कार्यालय संभाला और UAE और सऊदी अरब को दी जाने वाली हथियारों की सप्लाई पर रोक लगा दी. साथ ही संघर्षविराम लागू करने की मांग की. विदेश विभाग ने ये भी कहा कि हूती विद्रोहियों को आतंकी ग्रुप नहीं माना जाएगा. 2015 से जारी जंग की वजह से अब तक यमन में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. इस वजह से यमन में गंभीर मानवीय संकट भी खड़ा हो गया है.

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