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एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं बनना चाहता है, खासकर सुरक्षा संबंधित ग्रुप का।
भारत और चीन के बीच गलवान में हुए संघर्ष के दो साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन अब तक बॉर्डर पर तनाव बना हुआ है। कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत चीन को 'ठीक तरीके' से डील नहीं कर रहा है। सुशांत सिंह दुनियावी मामलों के विशेषज्ञ हैं। उन्होंने फॉरेन अफेयर्स के एक लेख में चीन को लेकर भारत की पॉलिसी को भ्रम से भरा हुआ बताया है।
भारत की चीन पॉलिसी में भ्रम बना हुआ है?
उन्होंने लिखा है कि भारत चीन के साथ काम करने को तैयार है। चीनी इनिशिएटिव से लाभ भी उठाना चाहता है लेकिन उसका विरोध करने से बच रहा है। यह सच है कि चीन भारत के लिए प्राथमिक रणनीतिक चुनौती बना हुआ है और बीजिंग चाहता है कि दिल्ली उसका आधिपत्य स्वीकार करे। इन खतरों के बाद भी भारत की चीन पॉलिसी में भ्रम बना हुआ है?
उलझी हुई है भारत की स्थिति
लेख में कहा गया है कि एक ओर भारत एक अनसुलझे संकट से जूझ रहा है तो दूसरी ओर मोदी सरकार अंतरिक्ष और सुरक्षा को लेकर चीन के साथ आगे की साझेदारी पर बातचीत कर रही है। दोनों देशों के बीच गहरे व्यापारिक संबंध हैं। एक ओर भारत क्वाड ग्रुप में है जो कि चीन के खिलाफ सख्त हो रहे हैं वहीं भारत चीन से दोस्ताना संबंध भी चाहता है। भारत की यह उलझी हुई स्थिति भारत को नुकसान पहुंचा रही है।
दो साल बाद भी किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका है
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर हालात अब भी सामान्य नहीं हैं। दोनों पक्षों के हजारों सैनिक पहाड़ों में तैनात हैं। चीनी सैनिक कुछ इलाकों में भारतीय सैन्य गश्ती को पहुंचने पर रोक लगा रहे हैं। सैन्य और राजनयिक स्तर पर इसे लेकर बातचीत जारी है लेकिन अब तक किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका है।
भारत ने लगातार कहा है कि वह 2020 की शुरुआत की यथास्थिति चाहता है लेकिन चीन इससे इनकार कर रहा है। भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि चीन के साथ उसके द्विपक्षीय संबंध तब तक सामान्य नहीं होंगे जब तक कि दोनों देश बॉर्डर मसलों का समाधान नहीं कर लेते। वहीं बीजिंग का कहना है कि बॉर्डर मसले को कारण बनाकर दोनों देशों के बीच रिश्ते को बंधक नहीं बनाना चाहिए।
चीन की आलोचना करने से बचता नजर आया है भारत
जो बाइडेन सरकार ने चीन को लेकर सख्त रुख अपनाया है। ताइवान, शिनजियांग, तिब्बत, कोरोना वायरस, चीनी आक्रामकता को लेकर अमेरिका ने लगातार चीन पर निशाना बनाया है। लेकिन भारत चीन की निंदा करने से बचता दिखता है।
यह भी गौर करने वाली बात है कि हाल के सालों में भारत ने अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को खुलकर जवाब दिया है चीन के केस में ऐसा करने से बचता नजर आया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि क्वाड ग्रुप के तहत भी भारत चीन की आलोचना नहीं करना चाहता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत किसी ग्रुप का हिस्सा नहीं बनना चाहता है, खासकर सुरक्षा संबंधित ग्रुप का।
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