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महिलाओं के संघर्ष को सलाम करने के लिए उनके सम्मान में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया हुआ है
महिलाओं के संघर्ष को सलाम करने के लिए उनके सम्मान में संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) घोषित किया हुआ है. हर साल की तरह इस बार भी महिलाओं की उपलब्धियों को पुरस्कार या सम्मान देकर सराहा जा रहा है. लोग एक बार फिर उन महिलाओं को याद कर रहे हैं जिनके साहस ने दुनिया को सलाम करने पर मजबूर कर दिया. लेकिन आज भी दुनिया की कई जगहों पर महिलाओं की स्थिति बेहद दयनीय है. उन्हीं जगहों में से एक है चीन.
ये बात कोई और नहीं बल्कि निर्वासित तिब्बत की केंद्रीय तिब्बत महिला एसोसिएशन की अध्यक्षा डोलमा यांगचीन (Dolma Yangchin) ने कही है. उन्होंने कहा कि एक तरफ देश और दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी चीन में आज भी महिलाओं की स्थिति बेहद बद्दतर है. डोलमा ने बताया कि आज चीन के साथ-साथ चीन के कब्जे में रह रहे तिब्बतियों की नन्स (Nun) और वहां की महिलाओं के साथ बेहद अभद्र व्यवहार होता है जो बिल्कुल सहने के काबिल नहीं है.
'चीन में आज भी घुट-घुट कर जीती हैं महिलाएं'
उन्होंने कहा कि जो भी नन्स चीन (China) की जेलों में कैद हैं, उनके साथ लगातार दुष्कर्म किया जाता है, जो बेहद असहनीय है. उन्होंने कहा कि आज उनकी ओर से भले ही धर्मशाला के मैक्लोडगंज में खुली हवा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का महिला दिवस मनाया जा रहा हो, लेकिन चीन में इस समय महिलाओं के साथ क्या कुछ हो रहा है, वह सोच कर ही सिहरन पैदा हो जाती है. डोलमा ने आगे कहा कि चीन में आज भी महिलाएं घुट-घुट कर जीती हैं. उन्होंने आज के खास मौके पर चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह महिलाओं को कम न समझें. एक दिन जरूर आएगा जब वे आजाद होंगी और महिलाएं अपने देश में जाकर खुली हवा में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएंगी.
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