जलवायु परिवर्तन के कारण इन दिनों रात के समय में भी तापमान में वृद्धि होती देखी जा रही है. दुनिया भर में कई वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि रात के समय बढ़ता तापमान इंसानों में मौत का खतरा भी बढ़ा सकता है. वैज्ञानिकों ने ये चेतावनी भी दी है कि भविष्य में रात के तापमान में वृद्धि से मौत का खतरा 6 गुना बढ़ सकता है. हाल ही में वैश्विक स्तर पर की गयी एक स्टडी ऐसा बताती है कि रात में बढ़ती गर्मी नींद के पैटर्न को खराब कर देती है. इससे भी लोगों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है और लोगों में मौत का खतरा बढ़ सकता है.
मृत्यु दर में 60 % तक हो सकता है इजाफा
विश्व भर के कई देश जैसे चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, जर्मनी और अमेरिका के शोधकर्ताओं के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक गर्म रातों से सदी के अंत तक दुनिया भर में मृत्यु दर में 60 % तक इजाफा होने का अनुमान है.
क्या कहते हैं जानकार
अमेरिका के चैपल हिल में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के जलवायु वैज्ञानिक और अध्ययन के को-एडिटर युकियांग झांग ने कहा है कि रात में तापमान बढ़ने के जोखिमों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. गिलिंग्स स्कूल में पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग से झांग ने कहा है कि गर्म रातों की फ्रीक्वेंसी और औसत तीव्रता साल 2100 तक क्रमश: 30 प्रतिशत और 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी. जबकि दैनिक औसत तापमान में 20 प्रतिशत से कम की वृद्धि होगी.
गर्म रातों के दुष्प्रभाव
परिणाम बताते हैं कि गर्म रात की घटनाओं की औसत तीव्रता 2090 तक लगभग दोगुनी हो जाएगी. ये अनुमान भी लगाया जा रहा है कि पूर्वी एशिया के 28 शहरों में तापमान में 20.4 डिग्री सेल्सियस से 39.7 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है. ज्यादा गर्मी के कारण बीमारी का बोझ बढ़ेगा जो सामान्य नींद पैटर्न को बाधित करता है. जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती गर्म रातों का लोगों पर पड़ते प्रभावों का अनुमान लगाने वाला यह पहला अध्ययन है.
क्या कहते हैं निष्कर्ष
निष्कर्षों से पता चला है कि औसत दैनिक तापमान में वृद्धि के अनुमान से मृत्यु दर में काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है. पेरिस जलवायु समझौते को ध्यान में रखते हुए भी जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग एक चिंताजनक समस्या है. चीन में फुडन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैडोंग कान ने कहा कि हमारे अध्ययन से हम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि गैर-इष्टतम (नॉन-ऑप्टिमम) तापमान के कारण बीमारी के बोझ का आकलन करने में, सरकार और स्थानीय नीति निर्माताओं को तापमान में बदलाव के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ते दुष्प्रभाव पर विचार करना चाहिए.