कोरोना के खिलाफ टीका काफी प्रभावी है। इससे गंभीर रूप से बीमार होने से बचा जा सकता है इस बात की पुष्टि सिंगापुर में मिल रहे संक्रमण के मामलों से हो रही है। यहां पिछले चार सप्ताह के भीतर संक्रमित होने वाले लोगों में 75 फीसदी का टीकाकरण हो चुका है। टीका लगने के कारण ये गंभीर रूप से बीमार नहीं हुए।
इसके साथ ही एक बात और साफ हो गई कि महज टीका लगाने से वायरस के संक्रमण को नहीं रोका जा सकता इसके लिए कोविड सम्मत व्यवहार का पालन करना जरूरी होगा।
पिछले 28 दिनों के दौरान स्थानीय स्तर पर 1,096 लोग संक्रमण की चपेट में आए इनमें से 44 फीसदी यानी 484 लोगों ने टीके की पूरी खुराक ले ली थी जबकि 30 फीसदी ने आंशिक खुराक ली जबकि 25 फीसदी ने टीका लिया ही नहीं।
यहां आठ मामले काफी गंभीर मिले जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। इन्होंने टीका नहीं लगवाया था। विशेषज्ञों का कहना है कि टीका लगाने के बाद संक्रमण की चपेट में आना का मतलब यह नहीं कि टीके प्रभावी और असरदार नहीं हैं।
वहीं सिंगापुर ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण नौ अगस्त से 21 अगस्त तक होने वाली नेशनल डे परेड को टाल दिया है और देश अपने 56वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में सिर्फ एक रस्मी परेड का आयोजन करेगा।
बता दें कि सिंगापुर कोरोना वायरस के साथ ही सामान्य जिंदगी जीने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वहां एक दृष्टि-पत्र तैयार किया गया है। सिंगापुर ने एक तीन सदस्यों की कोविड-19 टास्क फोर्स बनाई थी। टास्क फोर्स ने अब अपनी रिपोर्ट में लॉकडाउन और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के उपायों को खत्म करने का सुझाव दिया।
इसके साथ ही उसने क्वारंटीन मुक्त यात्रा और तमाम तरह के मेल-जोल की इजाजत दिए जाने का सुझाव भी पेश किया है। उल्लेखनीय है कि यह दस्तावेज ठीक उस समय जारी हुआ है, जब दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के फैलाव के कारण प्रतिबंध सख्त लागू किए जा रहे हैं।
टास्क फोर्स ने सुझाव दिया है कि नए कोरोना संक्रमण की रोजमर्रा की गिनती खत्म की जाए। विशेषज्ञों के मुताबिक टास्क फोर्स का नजरिया शून्य संक्रमण की तरफ बढ़ने के दूसरे देशों में अपनाए गए नजरिए के एकदम विपरीत है। शून्य संक्रमण मॉडल में क्वारंटीन के सख्त नियम और दूसरे प्रतिबंध अपनाए जाते हैं।