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यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एटना (Mount Etna) जब फूटा तो एक बार फिर विनाशकारी भविष्य की आशंकाएं पैदा हो गई हैं।
यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एटना (Mount Etna) जब फूटा तो एक बार फिर विनाशकारी भविष्य की आशंकाएं पैदा हो गई हैं। सिसिली टापू पर इस ज्वालामुखी के विस्फोट की तुलना 79ईसवीं में माउंट वेसूवियस (Mount Vesuvius) के साथ की गई है। इस ज्वालामुखी के फटने से रोम के शहर हर्कयूलेनियम और पोम्पेई जमींदोज हो गए थे। हजारों साल से धधक रहा एटना कई हफ्तों से फट रहा है और इसके अंदर भूकंप के झटके भी आ रहे हैं। इसके कारण दिन में आसमान तक राख दिखाई देती है और रात को भी लाल रोशनी बिखरी रहती है। यही नहीं, इसके साथ ही एक और चिंताजनक ट्रेंड यहां वैज्ञानिकों को देखने को मिला है।
महाविनाश का संकेत है एटना
पाया गया है कि सिसीलियाई पहाड़ धीरे-धीरे मेडिटरेनियन सी (Mediterranean Sea) की ओर खिसकते जा रहे हैं। यहां कम से कम 10 लाख लोग रहते हैं। साल 2018 के बाद से रिसर्चर ज्वालामुखी के मूवमेंट को स्टडी कर रहे हैं। इसके लिए एटना के आसपास बने 100 से ज्यादा GPS स्टेशन्स से मिले डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले साल की गईं दो स्टडीज में पाया गया है कि अगर तट के पास ज्वालामुखी फटा और पानी में गया तो इससे और भयानक नतीजे होंगे।
सागर में समा जाते हैं ज्वालामुखी
स्टडी में बताया गया है कि इस घटना से महासुनामी आ सकती हैं और मेडिटरेनियन के पूर्वी तट पूरी तरह बर्बाद हो सकते हैं। इसके चपेट में बेहद घनी आबादी वाला इलाका आ सकता है। एटना में होने वाले कई विस्फोटों में दसियों फीट नीचे मूवमेंट रिकॉर्ड किया गया है। साल 2001 से 2012 का डेटा बताता है कि एटना आइओनियन सी की ओर हर साल 14 मीलिमीटर तक खिसक रहा है। रिसर्चर जॉन मरे ने स्पूतनिक न्यूज को बताया है कि पहले की स्टडीज में यह पाया गया है कि ऐसे खिसकने वाले ज्वालामुखी आगे चलकर भयानक भूस्खलन की शक्ल ले सकते हैं। इससे आसपास के इलाके में विनाशकारी सुनामी आ सकती है।
सबसे पहले यह 6000 ईसा पूर्व में फटा था। यह हजारों साल से धधकता चला आ रहा है और यूरोप का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी बन चुका है। ज्वालामुखी के फटने के बाद जमा होने वाले मलबे से माउंट एटना की ऊंचाई बढ़ती जाती है और क्रेटर के रिम के धंसने से यह कम हो जाती है। कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई 170 फीट कम हो चुकी है। हाल के दशकों में यह पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय रहा है। खास बात यह है कि धीरे-धीरे इसका लावा बहता रहता है। साल 1971 में इसके फटने से कई गांवों पर खतरा पैदा हो गया था। कई ऑर्चर्ड और विनयार्ड राख में तब्दील हो गए थे और राख और गर्मी ने फसलों को जला दिया था।
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