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यूरोप ने रूस को दंडित करने के लिए उसके ईंधन से किनारा करने का अभियान किया तेज

Neha Dani
14 Jun 2022 9:11 AM GMT
यूरोप ने रूस को दंडित करने के लिए उसके ईंधन से किनारा करने का अभियान किया तेज
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एलएनजी की कीमतें जहां बढ़ रही हैं, वहीं यूरोप के धनी देश लगातार इसकी खरीद जारी रखे हुए हैं।

पेरिस: यूक्रेन के युद्ध को देखते हुए यूरोप ने रूस को दंडित करने के लिए उसके ईंधन से किनारा करने का अभियान तेज कर दिया है। इससे जहां रूस को आर्थिक झटका लग रहा है, वहीं उसके असर हजारों किलोमीटर दूर पाकिस्‍तान तक देखे जा रहे हैं। यूरोप के इस दांव से पाकिस्‍तान के अंधेरे में डूबने का खतरा पैदा हो गया है। इससे इमरान खान को हटाकर सत्‍ता में आई शहबाज शरीफ की नई सरकार की स्थिरता को लेकर खतरा पैदा हो गया है।

दरअसल, एक दशक पहले पाकिस्‍तान ने तेल की अचानक बढ़ती घटती कीमतों से खुद को बचाने के लिए एलएनजी में बड़े पैमाने पर निवेश किया था। उसने इसके लिए इटली और कतर के साथ लंबी अवधि का गैस सप्‍लाइ का समझौता किया था। अब इनमें से कुछ सप्‍लायर डिफाल्‍ट कर गए हैं और पाकिस्‍तान को गैस देने की बजाय यूरोपीय देशों को दे रहे हैं जिससे उन्‍हें तगड़ा मुनाफा हो रहा है। इससे पाकिस्‍तान का अब वही हाल हो गया है जिससे बचने के लिए वह गैस की ओर बढ़ा था।
पाकिस्‍तान में कई इलाकों में 12 घंटे की बिजली कटौती
पाकिस्‍तान सरकार ने पिछले महीने ईद पर खुद को अंधेरे से बचाने के लिए 10 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था ताकि बाजार से एलएनजी से भरे एक जहाज को मंगवाया जा सके। वह भी तब जब पाकिस्‍तान कंगाली की हालत से गुजर रहा है। इस साल जुलाई में वित्‍तीय वर्ष की समाप्ति तक देश के एलएनजी का कुल खर्च 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है जो एक साल पहले की कीमत से दोगुना है। इसके बाद अब आईएमएफ ने सरकार पर दबाव डाला है कि वह ऊर्जा और बिजली पर दी जा रही सब्सिडी को खत्‍म करे।
अब पाकिस्‍तान में हालत यह हो गई है कि कई इलाकों में 12 घंटे की बिजली कटौती हो रही है। इससे भीषण गर्मी में लोगों की हालत खराब हो रही है। वहीं इमरान खान अब बढ़ती महंगाई और बिजली कटौती को लेकर शहबाज सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और विशाल रैलियां कर रहे हैं। इससे शहबाज शरीफ की सरकार की स्थिरता पर भी संकट मंडरा रहा है। उन्‍होंने माना है कि जनता संकटों के दौर से गुजर रही है। अब उन्‍होंने अंतरराष्‍ट्रीय बाजार से मंहगी गैस खरीदने का आदेश दिया है। एलएनजी की कीमतें जहां बढ़ रही हैं, वहीं यूरोप के धनी देश लगातार इसकी खरीद जारी रखे हुए हैं।

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