विश्व

मंदी की आशंका के बीच यूरो, डालर के मुकाबले 20 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

Renuka Sahu
6 July 2022 1:17 AM GMT
Euro hits 20-year low against dollar amid fears of recession
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फाइल फोटो 

यूरोपिय संघ के 28 में 19 सदस्य की आधिकारिक मुद्रा यूरो मंगलवार को अमेरिकी डालर के मुकाबले 20 साल के निचले स्तर 1.029 डालर पर आ गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूरोपिय संघ के 28 में 19 सदस्य की आधिकारिक मुद्रा यूरो (Euro) मंगलवार को अमेरिकी डालर के मुकाबले 20 साल के निचले स्तर 1.029 डालर पर आ गया है। इस बीच यूरो जोन (Eurozone) में मंदी का भी खतरा बढ़ चुका है। 19 यूरोपीय सदस्य देशों द्वारा साझा की गई आम मुद्रा अमेरिकी डालर के मुकाबले एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कमजोर होती जा रही है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) के अनुसार, अमेरिकी डालर के मुकाबले यूरो की संदर्भ दर 1.0455 थी। इसीबी के अनुसार, यूरो इस साल की शुरुआत से अमेरिकी डालर के मुकाबले नौ प्रतिशत से अधिक गिर गया है। एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग परचेज मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में 52.1 पर गिर गया, जो मई में 54.6 था। बता दें कि पीएमआइ एक आर्थिक प्रवृत्तियों की दिशा को मापने के लिए एक संकेतक है।

तीसरी तिमाही में आर्थिक गिरावट का खतरा बढ़ा
एसएंडपी की ग्लोबल रिपोर्ट ने मंगलवार को बताया कि जून में हुए पीएमआइ सर्वेक्षण ने संकेत दिए कि तीसरी तिमाही में विकास की दर में तेज से गिरावट आ सकती है और तीसरी तिमाही में आर्थिक गिरावट का खतरा बढ़ गया है। यूरो क्षेत्र में मुद्रास्फीति बढ़ रही है। बाजार पर्यवेक्षकों का मानना है कि मुद्रास्फीति बढ़ने से उपभोक्ताओं के विश्वास को चोट पहुंचा सकता है और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है। यूरोपीय संघ के सांख्यिकीय कार्यालय के अनुसार, यूरो क्षेत्र में वार्षिक मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 8.6 प्रतिशत हो गई, जो मई में 8.1 प्रतिशत थी। गौरतलब है कि अमेरिकी समकक्ष की तुलना में, इसीबी अपनी मौद्रिक नीतियों को सख्त करने में कम आक्रामक प्रतीत होता है, जो आम मुद्रा के नीचे के दबाव को जोड़ता है।
इटली सहित कई देशों में सरकारी बांड बढ़ गए
इसीबी ने जून में अपने बांड-खरीद कार्यक्रम को समाप्त कर दिया, और जुलाई में ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए तैयार है। फिर भी, इसीबी द्वारा दरों में वृद्धि के अपने निर्णय की घोषणा के बाद से इटली सहित कुछ सदस्य राज्यों के सरकारी बांड काफी बढ़ गए हैं
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