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ब्रह्मोस का नाम सुनकर कांपते हैं दुश्मन, नहीं है कोई तोड़, बेचने से पहले भारत ने रूस से ली सहमति? जानें जवाब

jantaserishta.com
6 April 2022 8:28 AM GMT
ब्रह्मोस का नाम सुनकर कांपते हैं दुश्मन, नहीं है कोई तोड़, बेचने से पहले भारत ने रूस से ली सहमति? जानें जवाब
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नई दिल्ली: भारत रूस के सहयोग से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फिलीपींस को बेच रहा है. ब्रह्मोस को 50% रूसी तकनीक के साथ विकसित किया गया है, ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या भारत रूस से पूछकर फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल दे रहा है? रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत-फिलीपींस के इस रक्षा सौदे पर फिलीपींस में भारतीय राजदूत शंभू कुमारन ने प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने कहा है कि भले ही ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत और रूस ने मिलकर बनाया है लेकिन ये सौदा भारत और फिलीपींस के बीच का ही है. फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस समझौता द्विपक्षीय आधार पर ही आगे बढ़ेगा.
भारतीय राजदूत ने ये बातें अनंत केंद्र द्वारा आयोजित 'The Philippines: India's new Indo-Pacific partner' पर आयोजित एक वेबिनार में कहा. उन्होंने कहा कि फिलीपींस के रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना ने ब्रह्मोस पर विश्वास जताया है और कहा है कि भारत व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल करता है.
ब्रह्मोस को भारत ने रूसी तकनीक की मदद से विकसित किया है. मिसाइल की 50% तकनीक रूसी है. भारत अब इस मिसाइल को दूसरे देशों को भी बेच रहा है जिसे लेकर सवाल उठ रहे थे कि कि क्या भारत ने फिलीपींस से समझौते से पहले रूस को भी जानकारी दी होगी?
भारत के रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सौदा करने से पहले रूस से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट को लेकर बातचीत की होगी. उन्होंने कहा, 'इस सौदे में रूस का भी योगदान रहा होगा और उसे रक्षा सौदे से होने वाले लाभ का हिस्सा भी मिला होगा.'
वेबिनार में बोलते हुए कुमारन ने कहा कि फिलीपींस की तरफ से ब्रह्मोस को खरीदने का निर्णय एक शीर्ष स्तर पर लिया गया राजनीतिक फैसला था. दोनों देशों की बीच की राजनीतिक समझ से ही ये सौदा सफल हो पाया है.
उन्होंने भारत-फिलीपींस के बीच ब्रह्मोस मिसाइल सौदे पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पहला समझौता पिछले साल मार्च में, दूसरा समझौता नवंबर में हुआ था और इस सौदे पर जनवरी 2022 में हस्ताक्षर किए गए थे.
कुमारन ने कहा, 'ब्रह्मोस भारतीय रक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अग्रिम पंक्ति की मिसाइल है और ये एक तथ्य है कि हम इसे दूसरे देशों के साथ साझा करने की इच्छा रखते हैं. फिलीपींस ने इसकी सराहना की है. निश्चित रूप से, फिलीपींस की राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों के संदर्भ में वहां के सशस्त्र बलों को इसकी आवश्यकता है.'
फिलीपींस दक्षिण पूर्वी एशिया का वो देश है जिसका चीन के साथ समुद्री विवाद चलता है. भारत इस क्षेत्र के वैसे कई देशों से भी रक्षा सौदे कर रहा है जिनका चीन के साथ सीमा या समुद्री विवाद चल रहा है. वियतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देश भी भारत से रक्षा सौदे करना चाहते हैं. ऐसा कहा भी जा रहा है कि भारत चीन को देखते हुए फिलीपींस को ब्रह्मोस दे रहा है.
भारतीय राजदूत से इसे लेकर वेबिनार के दौरान सवाल भी किया गया कि क्या भारत-फिलीपींस रक्षा सौदे से चीन को कोई आपत्ति हो सकती है? जवाब में उन्होंने फिलीपींस के बयान का हवाला दिया कि वो ब्रह्मोस को आत्मरक्षा के लिए खरीद रहा है तो फिर इससे किसी देश को क्यों चिंता हो सकती है.
उन्होंने कहा कि फिलीपींस भारत से वायुसेना और नौसेना से जुड़े और भी रक्षा सिस्टम खरीदना चाहता है जिस पर चर्चा चल रही है. उन्होंने जानकारी दी कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने फिलीपींस से स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस पर एक तकनीकी ब्रीफिंग करने की पेशकश की है. फिलीपींस ने इसमें रुचि भी दिखाई है. तेजस के अलावा रोटरी प्लेटफॉर्म पर भी चर्चा चल रही है.
कुमारन ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व में भारतीय हथियारों को लेकर रुचि काफी बढ़ी है लेकिन इस रुचि को समझौतों में बदलना एक चुनौती है.
भारत रक्षा निर्यात में काफी पीछे है. सेना रक्षा हथियारों के लिए अधिकतर रूस पर ही निर्भर है. अब भारत ने हालांकि रक्षा हथियारों के निर्यात पर जोर देना शुरू किया है. भारत-फिलीपींस का ये ब्रह्मोस रक्षा सौदा 37.4 करोड़ डॉलर का है जो अब तक का भारत का सबसे बड़ा स्वदेशी रक्षा सौदा माना जा रहा है.
ध्वनि की गति से तीन गुना तेज ब्रह्मोस की रेंज 500 किलोमीटर है. लेकिन जो ब्रह्मोस फिलीपींस को दिया जाएगा, उसकी रेंज 290 किलोमीटर होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के तहत मिसाइल की रेंज को 300 किलोमीटर तक रखने की ही अनुमति है.


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