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श्रीलंका में फिर इमरजेंसी: 4 महीने में चौथी बार आपातकाल लगा, कोलंबो से हटने लगे प्रदर्शनकारी

Neha Dani
18 July 2022 7:21 AM GMT
श्रीलंका में फिर इमरजेंसी: 4 महीने में चौथी बार आपातकाल लगा, कोलंबो से हटने लगे प्रदर्शनकारी
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इसकी वजह से देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया।

कोलंबो: शुक्रवार को देश के कार्यवाहक राष्‍ट्रपति का पद संभालने के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने आपातकाल का ऐलान कर दिया है। सरकार की तरफ से जारी नोटिस में इस बात की जानकारी दी गई है। पूर्व राष्‍ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद विक्रमसिंघे को देश के कार्यवाहक राष्‍ट्रपति की शपथ दिलाई गई थी। बड़े स्‍तर पर जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है और अब ये 100वें दिन में पहुंच गया है। आर्थिक संकट लगातार जारी है और ये कैसे सुलझेगा किसी को भी समझ नहीं आ रहा है। आपातकाल से जुड़ा नोटिस रविवार को जारी किया गया है।

क्‍यों लगाया गया आपातकाल
राष्‍ट्रपति की तरफ से जारी नोटिस में कहा गया है, 'जनता के हित, उनकी सुरक्षा, कानून की रक्षा, आपूर्ति को बरकरार रखने और सभी के जीवन के लिए जरूरी सेवाओं को जारी रखने के लिए यही फैसला अनुकूल है।' श्रीलंका के पूर्व राष्‍ट्रपति राजपक्षे ने कहा है कि उन्‍होंने देश को आर्थिक संकट से बचाने के लिए सभी प्रयास किए थे। वो देश छोड़कर सबसे पहले मालदीव भागे और इस समय सिंगापुर में हैं जहां पर उन्‍हें सिर्फ 15 दिन की ही मोहलत दी गई है। शुक्रवार को श्रीलंका की संसद ने राजपक्षे का इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया था। जहां देश के अलग-अलग हिस्‍सों में प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं कोलंबो में राजपक्षे के जाने के बाद लोगों की भीड़ कम होती जा रही है।

प्रदर्शनकारियों ने तीन अहम बिल्डिंग्‍स- राष्‍ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री का आधिकारिक टेंपल ट्रीज रेजीडेंस और उनके ऑफिस को खाली कर दिया है। विक्रमसिंघे ने मिलिट्री को आदेश दिया है कि वो प्रदर्शनकारियों से सख्‍ती से निबटे। रक्षा अधिकारियों की मानें तो कोलंबो में अतिरिक्‍त सैनिकों और पुलिस जवानों को रवाना किया गया है ताकि सुरक्षा व्‍यवस्‍था बरकरार रह सके। 20 तारीख को देश में राष्‍ट्रपति का चुनाव होना है और माना जा रहा है कि विक्रमसिंघे को ही ये पद हासिल हो सकेगा।


क्‍यों इतने बिगड़े हालात

श्रीलंका के हालात रातों-रात नहीं बिगड़े हैं। साल 2019 में जब राजपक्षे देश के राष्‍ट्रपति बने तो उनकी नीतियों पर सवाल उठने लगे। इसके बाद जब कोविड-19 महामारी का आगाज हुआ तो हालात और बिगड़ गए। टूरिज्‍म पर आधारित अर्थव्‍यवस्‍था चौपट होने की तरफ बढ़ने लगी और धीर-धीरे सबकुछ खत्‍म हो गया। जनता रोटी के लिए तरसने लगी और मजबूर होकर सड़कों पर उतर आई। कर्ज से लदा ये देश इस कदर संकट में है कि ये खाने, ईधन और दवाईयों के लिए भी पैसे तक नहीं दे पा रहा है।


मदद के लिए श्रीलंका पूरी तरह से भारत, चीन और अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) पर निर्भर है। ईधन और कुकिंग गैस के लिए लोगों को घंटों लाइन में लगे रहना पड़ता था। सरकार पर देखते ही देखते 51 बिलियन डॉलर की देनदारी हो गई। वो कर्ज पर बने ब्‍याज को भी अदा करने में लाचार हो गई। देश के वित्‍त मंत्रालय ने कहा कि श्रीलंका के पास 25 मिलियन डॉलर का ही विदेशी रिजर्व बचा है और उसे 6 बिलियन डॉलर की जरूरत है ताकि अगले छह माह तक देश को चलाया जा सके। इसकी वजह से देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया।


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