श्रीलंका में आर्थिक संकट: राष्ट्रपति गोटबाया बोले - एक हफ्ते में नियुक्त करेंगे नया पीएम
श्रीलंका में नाजुक हालातों के बीच बुधवार को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा देश राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. अधिकांश लोग और राजनीतिक दल सुझाव दे रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्यों के साथ गठबंधन किया जाए. गोटबाया ने कहा कि मैंने पिछले कुछ दिनों से गठबंधन सरकार बनाने की कोशिश की है और मैं गठबंधन सरकार के सुझाव से सहमत हूं. उन्होंने कहा कि मैं इस कठिन समय में यह फैसला ले रहा हूं. उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के अंदर श्रीलंका के नए पीएम की नियुक्ति की जाएगी.
उन्होंने कहा कि हाल ही में पुराने मंत्रिमंडल (Cabinet) को हटा दिया गया है और युवा सांसदों के साथ-साथ बिना किसी राजपक्षे के नए मंत्रिमंडल को बनाने की तैयारी है. तमाम पार्टियों के आग्रह पर पीएम और पुरानी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था. जैसा कि हम सभी जानते हैं, 9 मई को हमने कुछ दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति देखी. बहुत ही कम समय में पूरे देश में हिंसा फैलती देखी गई.
जान बचा कर निकले महिंदा राजपक्षे
श्रीलंका को हिंसा की आग में झोंक कर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे पूरे परिवार के साथ भाग खड़े हुए. सोमवार को उग्र भीड़ ने कोलंबो में राजपक्षे के सरकारी आवास को घेर लिया था. जनता के गुस्से को कम करने के लिए उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. लेकिन इस्तीफे के बाद भी गुस्सा कम नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने इस्तीफा दिया और उधर उनके सरकारी आवास में सेना का हेलिकॉप्टर उतरा. आनन-फानन में पूरा राजपक्षे परिवार इसमें सवार हुआ और कोलंबों में उग्र प्रदर्शनकारियों से जान बचाकर भाग निकला. आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था दो साल पहले तक दक्षिण एशिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक मानी जाती थी. कोरोना महामारी की दस्तक से पहले 2019 में विश्व बैंक ने श्रीलंका को दुनिया के हाई मिडिल इनकम वाले देशों की कैटेगरी में अपग्रेड किया था, लेकिन दो साल में श्रीलंका की इकोनॉमी अर्श से फर्श पर आ गई. श्रीलंका अब अपना विदेशी कर्ज लौटा पाने में असमर्थ हो चुका है. उसने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी श्रीलंका में महंगाई दर 17 फीसदी को भी पार कर चुकी है, जो पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है. पैसों की किल्लत के बीच देश में महंगाई कई गुना बढ़ गई है. लोगों को रोजमर्रा की चीजें जुटाने के लिए भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.