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इससे बिग बैंग और यूनिवर्स के निर्माण को करीब से जाना जा सकेगा।
पेरिस: गॉड पार्टिकल कहे जाने वाले हिग्स बोसॉन की खोज के 10 साल बाद एक बार फिर से महामशीन लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर मंगलवार से स्टार्ट होने जा रही है। यह महामशीन प्रोटॉन को तोड़ने का काम करेगी जिससे अप्रत्याशित ऊर्जा निकलेगी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस प्रयोग से ब्रह्मांड कैसे काम करता है, इसके रहस्य की हमें और जानकारी मिल सकेगी। दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली पार्टिकल कोलाइडर ने करीब 3 साल तक अपग्रेड किए जाने के बाद अप्रैल महीने में इस महाप्रयोग के लिए तैयारी शुरू की थी।
यूरोपीय न्यूक्लियर रिसर्च संस्था 'सर्न' ने एक बयान जारी करके कहा कि मंगलवार को यह करीब 4 साल के अंतराल के बाद शुरू होने जा रही है और इससे 13.6 ट्रिल्यन इलेक्ट्रोनवोल्ट की ऊर्जा निकलेगी। इस प्रयोग के दौरान प्रोटोन पर विपरीत दिशा से महामशीन दो बीम डालेगी। इस दौरान इसकी स्पीड प्रकाश के बराबर रहेगी। यह बीम एक 27 किलोमीटर लंबे रिंग पर डाला जाएगा जो स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर धरती से 100 मीटर नीचे बनाया गया है।
प्रोटॉन और प्रोटॉन के बीच प्रति सेकंड 1.6 अरब टक्कर
इस महाटक्कर से निकले परिणामों को रेकॉर्ड किया जाएगा और हजारों की तादाद में वहां मौजूद वैज्ञानिकों के द्वारा विश्लेषित किया जाएगा। इन आंकड़ों का इस्तेमाल भविष्य में डार्क मैटर, डार्क एनर्जी और ब्रह्मांड के अन्य मूलभूत रहस्यों की जांच में किया जाएगा। सर्न ने बताया कि हमारा लक्ष्य है कि प्रोटॉन और प्रोटॉन के बीच प्रति सेकंड 1.6 अरब टक्कर कराई जाए। इस नई ऊर्जा की दर से वैज्ञानिक हिग्स बोसोन की और ज्यादा जांच कर सकेंगे। लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर ने सबसे पहले 4 जुलाई 2012 को सबसे पहले इसकी खोज की थी।
इसके बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उन्होंने उस गॉड पार्टिकल की खोज कर ली है, जिससे यूनिवर्स का ज्यादातर हिस्सा बना है। इस महामशीन को बनाने में 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। इसका मकसद बिग बैंग की थिअरी को समझना, डार्क मैटर (माना जाता है कि जिससे किसी पार्टिकल में मास यानी द्रव्यमान होता है) और ब्लैक होल (एक ऐसी जगह जहां का गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत होता है कि इसके पास कोई भी चीज आए, चाहे रोशनी ही क्यों ना हो, उसे अपने अंदर खींच लेती है) का गहन अध्ययन करना है।
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महामशीन कैसे करती है काम
इस मशीन को 1.9 केल्विन या -271 डिग्री सेल्सियस पर चलाया जाता है। यानी दुनिया में सबसे ठंडी जगह - इसे बनाने में फ्रांस के एफिल टॉवर के बराबर स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इस महाप्रयोग में 85 देशों के हजारों साइंटिस्ट काम कर रहे हैं। सर्न की मशीन में 27 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन जैसा एक ढांचा है। इसमें दो पैरलल बीम पाइप लगाए गए हैं, जो चार पॉइंट पर एक-दूसरे से मिलते हैं। इसमें करीब-करीब लाइट की रफ्तार से प्रोटोन्स को दो विपरीत दिशाओं से एक-दूसरे की तरफ दौड़ाया जाता है। एक बिंदु पर आकर इन्हें आपस में टकराया जाता है। साइंटिस्टों का कहना है कि इस टक्कर से वैसी ही परिस्थितियां पैदा होनी चाहिए, जैसी करीब 13.7 अरब साल पहले बिग बैंग यूनिवर्स के बनने के दौरान रही होंगी। इससे बिग बैंग और यूनिवर्स के निर्माण को करीब से जाना जा सकेगा।
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