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नासा के रोवर को दिखे मंगल पर मिट्टी के टीले और परतदार पत्थर, अरबों साल पहले मौसम में बदलाव के कारण लाल ग्रह पर हुआ टीलों का निर्माण

Renuka Sahu
28 Jun 2022 1:15 AM GMT
Earthen mounds and flaky stones on Mars were seen by NASAs rover, billions of years ago due to change in weather, the formation of dunes on the Red Planet
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फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नासा के क्यूरोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर मिट्टी के सूखे टीले और परतदार पत्थर दिखे हैं। इससे प्राचीन समय में लाल ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के संकेत मिलते हैं। रोवर द्वारा भेजी गई तस्वीरों मिट्टी ऊंचे-ऊंचे टीले दिखाई दे रहे हैं।

वैज्ञानिक का मानना है कि इस आधार पर यह माना जा सकता है कि मौसम में बदलाव के कारण पानी की धारा सूख गई गई होगी और मिट्टी के टीलों का निर्माण हुआ होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये अरबों साल पहले मंगल की जलवायु में हुए एक बड़े बदलाव को दिखाते हैं। रोवर लगातार ऊंचाई पर चढ़ रहा है। ऊंचाई से उसे ये टीले दिखे हैं। नासा की जेपीएल के वैज्ञानिक अश्विन वसवदा ने कहा कि वर्षों से दिखने वाले झील के जमाव अब हमें नहीं दिख रहे हैं। बल्कि, हमें शुष्क जलवायु के भी बहुत सारे सुबूत दिखे हैं जैसे सूखे टीले जिनके चारों ओर कभी-कभी धाराएं बहती रही होंगी। ये लाखों साल पहने बनी झीलों के लिए एक बड़ा बदलाव रहा होगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, चट्टानों की बदलती खनिज संरचना हैरान कर रही है। इन्हें अच्छे से समझने के लिए रोवर जल्द ही यहां चट्टान का नमूना खोदेगा। ये रोवर का आखिरी नमूना होगा। रोवर ने यहां उन चट्टानों को भी देखा है जो कई परतों में हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये पत्थर प्राचीन जलधारा या छोटे तालाब के कारण बने होंगे।
बूढ़ा हो रहा रोवर
क्यूरियोसिटी रोवर पांच अगस्त को मंगल ग्रह पर अपना 10वां जन्मदिन मनाएगा। एक दशक से ये रोवर लाल ग्रह पर है। नासा का ये रोवर अब धीरे-धीरे बूढ़ा हो रहा है। प्रमाण के तौर पर इसके एल्यूमीनियम के पहियों में छेद देखने को मिले हैं। दो जून को खींची एक तस्वीर में उसके एक पहिए में छेद दिखा था। हालांकि, जेपीएल ने कहा कि इससे कोई दिक्कत नहीं होगी। अगर उसके पहिए पूरी तरह खराब भी हो जाएं तो भी वह अपने रिम पर चल सकता है। नासा का रोवर फिलहाल मिट्टी से समृद्ध क्षेत्र में नमकीन खनिज यानी सल्फेट से भरे एक ट्रांजिशन क्षेत्र की यात्रा कर रहा है।
अपने अंदर 30 छोटे ग्रहों को निगल चुका है बृहस्पति: नासा
सौरमंडल में मौजूद ग्रहों में बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है। इसका आकार इतना बड़ा है, अगर सारे ग्रहों को मिला भी दें, तब भी यह उनसे त 2.5 गुना बड़ा साबित होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हाल में पता चला है कि यह बहुत से छोटे ग्रहों को अपने अंदर निगल चुका है। 'एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रो फिजिशियन' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, नासा ने ग्रैविटी साइंस मशीन का इस्तेमाल करके स्पेसक्राफ्ट जूनो के माध्यम से वैज्ञानिकों ने बृहस्पति ग्रह के निर्माण में शामिल होने वाले तत्वों का पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों ने पाया कि बृहस्पति ग्रह के गर्भ में धातु जैसे तत्व मौजूद हैं, जिनका माप धरती के आकार से 11 से 30 गुना तक है। ये मेटल ग्रह के ठीक केंद्र के पास हैं।
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