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नासा के मुताबिक इस डिवाइस से हर घंटे 20 मिनट तक सांस लेने तक ऑक्सीजन बनाई जा सकती है.
बीते हफ्ते नासा ने नया इतिहास रच डाला. ऐसा पहली बार हुआ जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने किसी दूसरे ग्रह पर सफलतापूर्वक हेलीकॉप्टर उड़ाया. नासा के छोटे से हेलिकॉप्टर Ingenuity ने 19 अप्रैल को उड़ान भरी. यह हेलिकॉप्टर नासा के परसिवरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा था. अब नासा ने एक नया वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में यह छोटा सा हेलिकॉप्टर उड़ता दिख रहा है. (NASA Mars Ingenuity flight Video)
नासा के परसिवरेंस रोवर के हाई डेफिनेशन मैस्टकैम-जेड कैमरे से हेलिकॉप्टर की उड़ान का वीडियो शॉट किया है. इस वीडियो में टेकऑफ के दौरान धूल उड़ती देखी जा सकती है. बायीं ओर से लिए गए वीडियो में शुरुआत के दौरान धूल दिखाई दी है. वैज्ञानिक इस वीडियो का इस्तेमाल करते हुए मंगल की धूल का अध्ययन करेंगे. एक अतिरिक्त वीडियो में हेलिकॉप्टर के उड़ने से पहले टाइमर का काउंटडाउन भी दिख रहा है और इसके बाद लैडिंग के वक्त भी यह काउंटिंग करता दिख रहा है.
मंगल पर जीवन की संभावना
Dust in the Wind… on Mars. These enhanced side-by-side videos from @NASAPersevere's Mastcam-Z reveal plumes from #MarsHelicopter upon takeoff and landing. It helps us better understand the Martian wind, and how dust travels through the Red Planet's atmosphere. pic.twitter.com/JtXBiqCgMW
— NASA JPL (@NASAJPL) April 21, 2021
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर जीवन की पूरी संभावना है. यहां की धूलभरी मिट्टी के नीचे ही जीवन पनपने की पूरी संभावना है. ब्राउन यूनिवर्सिटी की एक टीम ने मंगल की सतह से धरती पहुंची एक चट्टान की जांच की है. टीम के अनुसार ये चट्टान पानी के संपर्क में आती है तो केमिकल एनर्जी पैदा कर सकती है. इस एनर्जी से सूक्ष्म जीव जीवित रह सकते हैं.
मंगल पर ऑक्सीजन
कुछ ही दिन पहले नासा के रोवर ने मंगल ग्रह के वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड लेकर उसे ऑक्सीजन में तब्दील कर दिया. यह पहला ऐसा मौका था जब किसी दूसरे ग्रह पर ऐसा किया गया हो. माना जा रहा है कि इससे मंगल पर इंसानी बस्ती बसाने का सपना साकार हो सकता है. मंगल पर ऑक्सीजन बनाने के लिए नासा ने 'मार्स ऑक्सीजन इन-सितु रिसॉर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट' या MOXIE कार की बैटरी के साइज का एक गोल्डन बॉक्स है.
यह बॉक्स कार्बन डाइऑक्साइड के मॉलिक्यूल को अलग करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी और केमेस्ट्री का प्रयोग करता है. MOXIE ने पहली बार में पांच ग्राम ऑक्सीजन तैयार किया है. मतलब इतनी ऑक्सीजन से अंतरिक्षयात्री 10 मिनट तक सांस ले सकता है. नासा के मुताबिक इस डिवाइस से हर घंटे 20 मिनट तक सांस लेने तक ऑक्सीजन बनाई जा सकती है.
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