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इसकी मुख्य वजहों में आर्थिक विकास, परिवहन और औद्योगिक गतिविधियां हैं।
कोरोना महामारी के दौरान यूरोपीय संघ के देशों में जीवाश्म ईंधन से होने वाले कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में पिछले साल दस फीसदी की कमी दर्ज की गई। गहराते जलवायु संकट के बीच यह अच्छा संकेत माना जा रहा है।
यूरोस्टेट ने शुक्रवार को कहा कि यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों में 2019 में कार्बन उत्सर्जन में गिरावट दर्ज की गई। बता दें, कोरोना वायरस के फैलाव के मद्देनजर सदस्य देशों ने लॉकडाउन लागू किया था।
कार्बन उत्सर्जन कम करने में ग्रीस अव्वल
ग्रीस में सबसे अधिक -18.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। उसके बाद एस्टोनिया में -18.1, लक्समब्रग में -17.9, स्पेन में -16.2 और डेनमार्क में -14.8 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा जिन देशों में सबसे कम गिरावट दर्ज की गई, वह हैं माल्टा (-1 प्रतिशत), हंगरी (-1.7 फीसदी), आयरलैंड (-2.6 प्रतिशत) और लिथुआनिया (-2.6 प्रतिशत)।
यूरोस्टेट के मुताबिक हर तरह के कोयले की मांग इस दौरान घटी। तेल और तेल उत्पादों का इस्तेमाल भी कम हुआ है। वहीं, प्राकृतिक गैस के उपयोग में सिर्फ 15 सदस्य देशों में कमी दिखी है। ईयू में ग्रीन हाउस गैसों से कार्बन उत्सर्जन का योगदान करीब 75 फीसदी है। इसकी मुख्य वजहों में आर्थिक विकास, परिवहन और औद्योगिक गतिविधियां हैं।
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