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अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से एक रहा. दुनिया की अधिकांश हेरोइन गोल्डन ट्रायएंगल से ही होकर गुजरती थी.
नॉर्वे-स्वीडन की सीमा 1,630 लंबी है. युद्ध के कारण इन सीमाओं में कई बार बदलाव हुआ. 1645 से पहले, जैमटलैंड, हर्जेडेलन, इड्रे / सरना पैरिश और बोहुस्लान नॉर्वे के पास था. 1751 में स्ट्रोमस्टेड में एक संधि पर फिर हस्ताक्षर किए गए. जिसके तहत खेतों के बीच से बी बॉर्डर बन गए. 1752-1765 में फिनलैंड सहित नॉर्वे और स्वीडन के बीच सीमा केयर्न बनाए गए, जो आज भी बने हुए हैं.
Netherlands And Belgium: बेल्जियम-नीदरलैंड सीमा बेल्जियम और नीदरलैंड को अलग करती है और 450 किमी लंबी है. बेल्जियम और नीदरलैंड शेंगेन क्षेत्र का हिस्सा हैं. इसका मतलब है कि इस सीमा पर कोई स्थायी नियंत्रण नहीं है. बेल्जियम की ओर, सीमा चार फ्लेमिश प्रांतों द्वारा साझा की जाती है.
डेनमार्क और स्वीडन के बीच वर्तमान राष्ट्रीय सीमा सन 1658 से बनी हुई है. यह पूरी तरह से एक समुद्री सीमा है, जो बोर्नहोम और स्कैनिया के बीच बाल्टिक सागर में बनी हुई है. स्वीडन और डेनमार्क-नॉर्वे 1523 में काल्मार संघ के टूटने के साथ अलग देश बन गए थे.
पुर्तगाल-स्पेन सीमा, जिसे 'द स्ट्राइप' भी कहा जाता है. दुनिया की सबसे पुरानी सीमाओं में से एक है. दोनों देशों के बीच जो बॉर्डर बना हुआ है, वह सन 1297 में अल्केनिस की संधि पर आधारित है. पुर्तगाल-स्पेन सीमा 1,214 किमी (754 मील) लंबी है, और यूरोपीय संघ के भीतर सबसे लंबी निर्बाध सीमा है. लिवेंजा / ओलिवेन्का की विवादित स्थिति के कारण, कैया नदी और रिबेरा डी कुंकोस के बीच 18 किमी (11 मील) की सीमा को परिभाषित नहीं किया गया है, जो दो सौ वर्षों से दोनों देशों के बीच विवादित है.
मिस्र-इजराइल बैरियर या बॉर्डर पर शुरुआती निर्माण कार्य 22 नवंबर 2010 को शुरू हुआ. इसका उद्देश्य अफ्रीकी देशों से इजरायल में अवैध प्रवासियों के बड़े प्रवाह को रोकना था. हालांकि, 2011 की क्रांति के बाद मिस्र के साथ इजरायल की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर सिनाई विद्रोह और आतंकवादी जिहादी गतिविधि में वृद्धि देखने को मिली. इसके बाद इजराइल ने स्टील बैरियर को अपग्रेड किया, जिसे इजराइल डिफेंस फोर्सेस (IDF) द्वारा प्रोजेक्ट ऑवरग्लास कहा जाता है- जिसमें कैमरा, रडार और मोशन डिटेक्टर शामिल हैं.
जहां थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएं रुक और मेकांग नदियों के संगम पर मिलती हैं, उसे गोल्डन ट्रायएंगल कहा जाता है. 1950 के दशक तक यह इलाका दुनिया के सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से एक रहा. दुनिया की अधिकांश हेरोइन गोल्डन ट्रायएंगल से ही होकर गुजरती थी.
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