रूस की यूक्रेन को लेकर ज़िद की वजह से यूरोप बना जंग का मैदान
यूरोप में लगता है जंग का मैदान पूरी तरह से सज चुका है। सेनाओं की मोर्चाबंदी तेज़ होने लगी है। तो क्या दो महाशक्तियों के बीच अब रण का बिगुल बजकर ही रहेगा। ये सवाल इसलिए खड़ा होने लगा है क्योंकि अमेरिका का एक हवाई जहाज़ अमेरिकी फौज की टुकड़ी को लेकर रविवार को पोलैंड पहुँच गया। समाचार एजेंसी रॉयटर ने वॉशिंगटन में अपने सूत्रो के हवाले से खबर दी है कि यूक्रेन बॉर्डर पर रूस की सेना से टकराने के लिए पूर्वी यूरोप में मुस्तैद खड़ी नाटो की सेना की ताक़त को बढ़ान के लिए अमेरिका ने ये बड़ा कदम उठाया है। पिछले हफ़्ते ही बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पोलैंड और रोमानिया के लिए 3000 अमेरिकी सैनिकों को भेजने की घोषणा कर दी थी। क्योंकि जो बाइडन अपने फैसले से नाटो की सेनाओं को ये भरोसा भी दिलाना चाहते थे कि अमेरिका हमेशा अपनी पूरी ताक़त के साथ नाटो की सेना का साथ देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उधर पेंटागन की तरफ से मिली ख़बरों के मुताबिक अमेरिका ने अपनी सेना का एक एडवांस ग्रुप 82वीं एयरबॉर्न डिवीजन के 1700 सैनिकों को नॉर्थ कैरोलिना से पोलैंड में तैनात किया है। और अमेरिकी सेना का C-17 एयरक्रॉफ्ट 82 वीं एयरबॉर्न डिवीजन के कमांडिंग जनरल समेत तमाम फौजियों को लेकर रविवार को पोलैंड के रेस्जॉ जासिओंका सैनिक एयरपोर्ट पर उतर भी गया। बताया तो यहां तक जा रहा है कि अमेरिकी सेना की कुछ और टुकड़ियों को लेकर उनका सबसे बड़ा महाबली जहाज़ C17 कुछ और फेरे लगाएगा। लेकिन वो कितने फेरे होंगे ये अभी तक साफ नहीं हुआ है। अमेरिकी जहाज़ की लैंडिंग के बाद ही पोलैंड के रक्षा मंत्री मारिउस्ज़ ब्लासज़स्ज़ाक ने मीडिया को बताया कि अमेरिकी सेना की एलीट फोर्स की एक टुकड़ी को लेकर अमेरिकी जहाज़ वहां पहुँच गया है। सैनिकों के इस मोर्चे के लिए ये अमेरिका की पहली खेप है। आने वाले घंटों में अमेरिका के कई और प्लेन यहां लैंड करने वाले हैं।
उधर रूस के तेवर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। हालांकि रूस की तरफ से इस बात से इनकार किया गया है कि उसके फाइटर प्लेन ने युक्रेन की वायू सीमा का उल्लंघन नहीं किया है। मगर ये बात ज़रूर साफ हो गई कि रूस ने यूक्रेन बॉर्डर के पास क़रीब एक लाख सैनिकों की तैनाती कर दी है। रुस की तरफ से ये बात धमकी के तौर पर कही जा रही है कि अगर नाटो की शर्तों का पूरी तरह से पालन नहीं हुआ तो उनकी सेना किसी भी तरह की कार्रवाई करके अपनी अस्मिता की रक्षा करने के लिए आज़ाद है।