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नशे में धुत मिली मछलियां, लोगों की 1 गलती से पानी में मिल रहा खतरनाक ड्रग्स

Neha Dani
9 July 2021 6:36 AM GMT
नशे में धुत मिली मछलियां, लोगों की 1 गलती से पानी में मिल रहा खतरनाक ड्रग्स
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तुलना में कम सक्रिय थी. ट्राउट ने इससे पहले कभी दवा का अनुभव नहीं किया था.

अक्सर आपने नशे में धुत लोगों को देखा या उनके बारे में सुना होगा, जिनको अगर अपने नशे की आदत खत्म करनी हो तो उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन क्या आपने नशे में धुत मछलियों के बारे में सुना है?

दरअसल, चेक यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज इन प्राग (Crezh University of Life Sciences in Prague) के लीड ऑथर (Lead Author) डॉक्टर पावेल होर्की (Dr. Pavel Horky) ने मछलियों पर एक शोध किया, जिसमें यह निकलकर सामने आया कि मछलियां भी ड्रग एडिक्ट (Drug Addict) हो सकती हैं और उन्हें भी नशे की तलब लग सकती है. यह स्टडी द जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी (The Journal of Experimental Biology) में छपी है. इंसानों की वजह से मछलियों को लग रही है नशे की आदत

आपको बता दें कि शोध में पाया गया है कि मछलियां में नशे की लत होने की वजह क्रिस्टल मेथ (Crystal Meth) का उनके शरीर में जाना है, जो कि नशा करने वाले इंसानों के शौच को समुद्र में बहा देने की वजह से उन तक पहुंचता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मछलियों के व्यवहार को बदल रहा है, प्रोज़ैक (Prozac) जैसी दवाएं समुद्री जीवन को बेहतर बनाती हैं, जबकि अवैध ड्रग्स (Illegal drugs) को पानी से हटाने पर मछलियों में विड्रॉल सिंड्रोम (Withdrawal Syndrome) देखा जा सकता है.

हफ्तों तक मछलियों पर किया गया शोध
यह चौंकाने वाली खोज तब हुई जब ट्राउट (Trout) को मेथेम्फेटामाइन (Methamphetamine) के संपर्क में लाया गया. आपको बता दें कि इस ड्रग को क्रिस्टल मेथ (Crystal Meth) भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक आठ हफ्तों के लिए ट्राउट को मेथेम्फेटामाइन से भरे पानी के टैंक में अलग से रखा गया था. इसके बाद मछली को फिर एक मीठे पानी की टंकी में रखा गया और विड्रॉल सिंड्रोम की जांच की गई. आपको बता दे कि शोधकर्ता हर दूसरे दिन उसे मीठे पानी या मेथेम्फेटामाइन वाले पानी के बीच एक विकल्प देते थे, जिससे यह पता चलता कि अगर मछली को ड्रग की लत लग गई है तो वो वह ड्रग मिलने पर उसे जरूर लेती.
मीठे पानी में रहने वाली ट्राउट को लग गई थी नशे की लत
शोधकर्ताओं ने उनकी पसंद को ट्रैक करते हुए यह पता लगाया कि मछली ड्रग से दूषित पानी में रहना चाहती थी और जब उसे दवा वाले पानी की जगह मीठे पानी में ले जाया गया तो पहले चार दिनों के दौरान उसमें विड्रॉल सिंड्रोम दिखाई दिए. जानकारी के लिए बता दे कि नशे की लत लग चुकी मछली ट्राउट की तुलना में कम सक्रिय थी. ट्राउट ने इससे पहले कभी दवा का अनुभव नहीं किया था.


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