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Space Station को भारत या चीन पर गिरा दें? जानें रूसी स्पेस एजेंसी ने अमेरिका से क्यों पूछा ऐसा
jantaserishta.com
25 Feb 2022 9:53 AM GMT
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए रूस (Russia) के खिलाफ कुछ प्रतिबंध लगाए. इनमें से कुछ प्रतिबंध ऐसे हैं जो रूस के स्पेस प्रोग्राम को कमजोर कर देंगे. यूक्रेन पर हमला करने की वजह से रूस और अमेरिका के बीच रिश्तों में फिर से नई खटास आ गई है. बाइडेन ने कहा कि हमारे लगाए प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमारे प्रतिबंधों की वजह से रूस की एयरोस्पेस इंडस्ट्री को काफी नुकसान होने वाला है. इन प्रतिबंधों में रूसी सेना, मैरीटाइम इंडस्ट्री, आर्थिक संस्थान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के करीबी लोगों पर भी बैन लगाया गया है.
वहाइट हाउस के अनुसार रूस के स्पेस प्रोग्राम पर सीधे तौर पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. लेकिन कुछ बेहद संवेदनशील तकनीकों को रूस एक्सपोर्ट करने से रोक दिया गया है. इन तकनीकों का उपयोग स्पेस इंडस्ट्री में किया जाता है. अमेरिका ने रूस के खिलाफ सेमीकंडक्टर्स, टेलिकम्यूनिकेशन, एनक्रिप्शन सिक्योरिटी, लेजर्स, सेंसर्स, नेविगेशन, एवियोनिक्स और मैरीटाइम तकनीकों के निर्यात पर बैन लगा दिया है.
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या अमेरिका के इस प्रतिबंध से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पर चल रहे कामों पर क्या असर पड़ेगा. क्योंकि स्पेस स्टेशन, ऑर्बिटल यात्राओं और एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका और रूस के बीच समझौता है. अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने कहा कि स्पेस स्टेशन पर रूसी गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
नासा और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) एकसाथ मिलकर भविष्य के स्पेस मिशन करते रहेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन का उपयोग करते रहेंगे. एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग चलती रहेगी. ताकि स्पेस स्टेशन पर किसी भी समय एस्ट्रोनॉट्स की कमी न हो. नासा ने कहा कि ऑर्बिटल मिशन और ग्राउंड स्टेशन ऑपरेशंस पर हम रूस के साथ ही मिलकर काम कर रहे हैं. उसमें किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.
NASA ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हम रूस की स्पेस एजेंसी के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की सुरक्षा और अन्य मिशनों को पूरा करते रहेंगे. अमेरिका और रूस के बीच अंतरिक्ष में सिविल कॉपरेशन जारी रहेगा. रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का कोई असर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के कामकाज पर नहीं पड़ेगा.
नासा का यह बयान तब आया जब Roscosmos के डायरेक्टर डिमित्री रोगोजिन ने कई ट्वीट करके अमेरिका को कहा कि क्या आप ISS पर हमारी साझेदारी को नष्ट कर देना चाहते हैं. अगर आप स्पेस स्टेशन पर समझौता खत्म करना चाहते हैं. तो फिर स्पेस स्टेशन को कौन बचाएगा. क्योंकि यह अनियंत्रित होकर अमेरिका या यूरोप पर गिर सकता है. दूसरा विकल्प ये भी है कि 500 टन का एक यह ढांचा भारत या चीन पर गिरा दिया जाए.
डिमित्री ने ट्वीट के जरिए पूछा कि क्या भारत और चीन को इस तरह के विकल्प की जानकारी देकर डरा दिया जाए? क्योंकि स्पेस स्टेशन रूस के ऊपर से नहीं उड़ता. क्या आप इस बात के लिए तैयार हैं. डिमित्री के ऑनलाइन भावनाओं के बाद नासा ने यह बयान दिया कि अमेरिका और रूस के रिश्ते स्पेस स्टेशन को लेकर खराब नहीं हो रहे हैं. वो मिलकर काम करेंगे.
इससे पहले भी अमेरिका और रूस में स्पेस स्टेशन को लेकर ठन चुकी है. पिछली साल रूस ने 14 नवंबर की रात या 15 नवंबर की सुबह एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) दागकर अपने सैटेलाइट कॉसमॉस-1408 (Cosmos-1408) को उड़ा दिया. इस सैटेलाइट का वजन 2000 किलोग्राम था. इसे साल 1982 में लॉन्च किया गया था. यह पिछले कुछ सालों से निष्क्रिय था. जब मिसाइल से इसे उड़ाया गया तब यह धरती से 485 किलोमीटर की ऊंचाई पर था. इससे थोड़ा ही नीचे की कक्षा में स्पेस स्टेशन धरती के चक्कर लगाता है.
इसके बाद नासा ने स्पेस वॉक के प्रोग्राम को रद्द कर दिया था. क्योंकि इस विस्फोट से फैले कचरे की वजह से एस्ट्रोनॉट्स की जान को खतरा हो सकता था. अमेरिका ने रूस की इस गलत हरकत की पुष्टि करते हुए इस घटना की निंदा की. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के प्रवक्ता नेड प्राइस (Ned Price) ने कहा कि रूसी फेडरेशन ने लापरवाही से भरी हरकत की है. जिसकी वजह से स्पेस स्टेशन पर मौजूद एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी खतरे में पड़ गई थी.
इससे पहले रूस ने साल 2014 के बाद से अब तक 10 बार एंटी-सैटेलाइट मिसाइलों का परीक्षण किया है. उसके इस मिसाइल का नाम है नूडॉल एंटी-सैटेलाइट मिसाइल सिस्टम (Nudol Anti-satellite missile system). जिसे प्लेसेटेक कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था. साल 2007 में चीन ने भी अपने सैटेलाइट पर मिसाइल से सीधा हमला करके काफी ज्यादा मात्रा में कचरा पैदा किया था. अमेरिका के मुताबिक चीन के सैटेलाइट के टूटने पर 3400 से ज्यादा बड़े टुकड़े अंतरिक्ष में फैले थे. आधे से ज्यादा कचरा तो आज भी अंतरिक्ष में घूम रहा है.
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