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इजरायल की मदद से DRDO ने बनाई मिलकर ये मिसाइल, जमीन से हवा में 100 किमी तक करेगी हमला

Neha Dani
24 Dec 2020 4:01 AM GMT
इजरायल की मदद से DRDO ने बनाई मिलकर ये मिसाइल, जमीन से हवा में 100 किमी तक करेगी हमला
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एलएसी पर चीन से चल रहे टकराव के बीच डीआरडीओ ने इजरायल की मदद से आसमान में दुश्मन के फाइटर जेट |

एलएसी पर चीन से चल रहे टकराव के बीच डीआरडीओ ने इजरायल की मदद से आसमान में दुश्मन के फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को मारने के लिए एमआरसैम मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया. मध्यम दूरी की इस मिसाइल का परीक्षण बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आईटीआर) में किया गया. ये मिसाइल डीआरडीओ ने थलसेना के लिए तैयार की है. इस मिसाइल का नेवल-वर्जन, बराक-8 पहले से ही भारतीय नौसेना इस्तेमाल कर रही है.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, थलसेना के लिए मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (एमआरसैम) यानि जमीन से आसमान तक मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल का बुधवार शाम 4 बजे पहला सफल परीक्षण किया गया. मिसाइल ने इसके लिए एक मानव-रहित एरियल टारगेट को डायरेक्ट-हिट से पूरी तरह से तबाह कर दिया. इस एरियर टारगेट को एक एयरक्राफ्ट की तरह इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान थलसेना के वरिष्ट सैन्य अधिकारी भी वहां मौजूद थे.
एमआरसैम को डीआरडीओ यानि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाईजेशन ने इजरायल की आईएआई यानि इजराजयली आर्म्स इंडस्ट्री की मदद से तैयार किया है. इसकी रेंज करीब 100 किलोमीटर है. इन एमआरसैम वैपन सिस्टम में कमांड-पोस्ट, मल्टी फंक्शन रडार और मोबाइल लॉन्चर सिस्टम है. परीक्षण के दौरान पूरे मिशन-डाटा को रिकॉर्ड किया गया. एमआरसैम का नेवल वर्जन यानि समुद्री-संस्करण, 'बराक-8' भारतीय नौसेना पहले से ही अपने युद्धपोतों में इस्तेमाल कर रही है. नौसेना इन बराक-8 मिसाइलों को एंटी-शिप मिसाइल की तरह भी इस्तेमाल करती है.
डीआरडीओ ने एमआरसैम का परीक्षण ऐसे समय में किया है जब एलएसी पर चीन के साथ जबरदस्त तनातनी चल रही है. इस टेस्ट के बाद माना जा रहा है कि इस मिसाइल को भारतीय सेना में जल्द शामिल कर लिया जाएगा. बुधवार को ही थलसेना प्रमुख ने लद्दाख के दौरान एलएसी के रेचिन-ला दर्रा का दौरा किया था और सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया था.
एमआरसैम के सफल परीक्षण पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के चैयरमेन जी सथीश रेड्डी ने रिकॉर्ड समय में इस मिसाइल को तैयार करने के लिए बधाई दी. इस परीक्षण से पहले आईटीआर रेंज के आसपास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था.


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