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China के ये नए तर्क
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बीजिंग: चीन (China) की दादागिरी का एक और मामला सामने आया है. बीजिंग ने कंटीले तारों की मदद से म्यांमार (Myanmar) की सीमा पर 2000 किलोमीटर लंबी दीवार (Great Wall) का निर्माण शुरू किया है. म्यांमार की सेना इस दीवार का विरोध कर रही है, लेकिन चीन अपने रुख पर कायम है. उधर, अमेरिका ने इस पर चिंता जताई है. शीर्ष अमेरिकी थिंकटैंक ने कहा है कि चीन का यह प्रयास उसकी विस्तारवादी सोच को दर्शाता है और आने वाले दशकों में दक्षिण एशिया में संघर्ष काफी बढ़ सकता है.
China ने दिया ये तर्क
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार (Myanmar) से लगती चीन (China) की सीमा पर करीब 2000 किमी लंबी यह दीवार बनाई जा रही है. चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) का दावा है कि इस दीवार को बनाने का मकसद देश के अंदर म्यांमार से अवैध घुसपैठ पर लगाम लगाना है. चीन के दक्षिणी-पश्चिमी यून्नान प्रांत में करीब 9 मीटर ऊंची कंटीले तारों से इस दीवार को बनाया जा रहा है.
असल मकसद है कुछ और
वहीं, वेस्ट मीडिया की रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन की इस नई महान दीवार का असल मकसद असंतुष्टों को चीन से फरार होने से रोकना है. म्यामांर की सेना लगातार चीन की इस हरकत का विरोध कर रही है. सेना ने चीनी अधिकारियों को पत्र लिखकर तार लगाने के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है. स्थानीय मीडिया ने म्यामांर की सेना के हवाले से बताया है कि चीन ने पोस्ट संख्या BP-125 के पास रविवार को बाड़ लगाने का काम शुरू किया. सेना ने चीनी पक्ष को आपत्ति पत्र भेजा है. उसने 1961 में हुई सीमा संधि के आधार पर यह आपत्ति जताई है, जिसके प्रावधानों में कहा गया है कि सीमांकन के 10 मीटर के अंदर किसी भी ढांचे का निर्माण नहीं हो सकता है.
दौड़ेगा करंट, लगेंगे Cameras
रेडियो फ्री एशिया के अनुसार, इस प्रोजेक्ट का नाम 'दक्षिणी महान दीवार' (Southern Great Wall) रखा गया है. इसके पहले चरण के तहत 650 किमी के इलाके में बाड़ लगाने का काम पूरा हो गया है. चीन की योजना है कि साल 2022 तक म्यांमार से लगती 2000 किमी सीमा पर इस हाईटेक दीवार को बनाने का काम पूरा किया जाए. इस बाड़ में बिजली का करंट दौड़ेगा और इंफ्रारेड सेंसर के साथ शक्तिशाली कैमरे लगाए जाएंगे. जानकारों का कहना है कि इस दीवार के बन जाने के बाद चीनी असंतुष्ट आसानी से म्यांमार या वियतनाम नहीं जा पाएंगे. उनके मुताबिक, चीन नहीं चाहता है कि उसके विरोधी देश छोड़कर कहीं भागें.
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