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वर्तमान में ईयू में एस्ट्रेजनेका वैक्सीन के दो खुराक के बीच 12 हफ्तों, स्पेन में 16 हफ्तों तथा ब्रिटेन में आठ हफ्तों का अंतराल दिया जा रहा है।
देश में कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद टीकाकरण का काम तेजी चल रहा है। इस बीच देखा गया कि राज्यों ने टीके की कमी की शिकायत की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने मई में कोविशील्ड की दूसरी वैक्सीन के बीच के अंतराल को 8-12 हफ्तों से बढ़ाकर 12-16 हफ्ते कर दिया था। इसके बाद सरकार पर कई सवाल भी उठे थे। विशेषज्ञों ने कहा था कि कोविशील्ड के दूसरी के अंतराल के काफी अच्छे परिणाम आएंगे।
वहीं अमेरिका में मुख्य संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ और व्हाइट हाउस के मेडिकल सलाहकार डॉ एंथनी फाउची का कहना है कोरोना टीके की दो खुराकों के बीच के समय को बढ़ाने से वायरस के वेरियंट से संक्रमण होने की आशंका बढ़ सकती है।
एक न्यूज चैनल से बात करते हुए डॉ फाउची ने ये भी कहा कि जिस देश में ज्यादा लोगों को कोरोना टीका नहीं दिया जा सका हो वहां पर डेल्टा वेरियंट की वजह से चिंता तो बनी ही होगी।
इससे पहले फाउची भारत में ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण की बात कह चुके हैं। उन्होंने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा था कि भारत की कोशिश होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्दी टीका लगाया जा सके। उस वक्त भी फाउची से टीके की बीच अंतराल बढ़ाने को लेकर सवाल किया गया था उस समय उन्होंने कहा था कि जब वैक्सीन की कमी है तो ज्यादा लोगों को कम से कम वैक्सीन की पहली खुराक मिले इसके लिए पहली और दूसरी खुराक के बीच की अवधि को बढ़ाना सही काम है।
वहीं भारत सरकार ने पिछले महीने ही केंद्र सरकार ने कोविशील्ड के दूसरी वैक्सीन के बीच का अंतराल बढ़ा दिया था। लेकिन कोवाक्सीन का ज्यों का त्यों है यानी 28 दिन ही रखा है। इस पर कुछ विशेषज्ञों के साथ विपक्ष का मानना है कि ऐसा देश में वैक्सीन की कमी के चलते ऐसा किया गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना वैक्सीन के दो डोज के बीच 8 से 12 हफ्तों का गैप होना चाहिए। वर्तमान में ईयू में एस्ट्रेजनेका वैक्सीन के दो खुराक के बीच 12 हफ्तों, स्पेन में 16 हफ्तों तथा ब्रिटेन में आठ हफ्तों का अंतराल दिया जा रहा है।
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