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बीजिंग (आईएएनएस)। वर्तमान में, वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति की नई लहर सामने आ रही है, जिसमें न केवल एआई द्वारा प्रस्तुत डिजिटल तकनीक, बल्कि उच्च तापमान सुपरकंडक्टिविटी और कैंसर उपचार जैसी तकनीकें भी शामिल हैं।
विश्व अर्थव्यवस्था का विकास तेजी से तकनीकी प्रगति पर निर्भर है, और नई तकनीकी सफलताएं निश्चित रूप से औद्योगिक परिवर्तन लाएँगी, जिससे उत्पादकता में भारी वृद्धि होगी।
इतिहास में पिछली सभी तकनीकी क्रांतियों का नेतृत्व पश्चिम ने किया था, जबकि चीन और भारत जैसे पूर्वी देशों को पीछे छोड़ दिया गया था।
लेकिन, नवीनतम तकनीकी क्रांति को हमें चूकना नहीं चाहिए। उदाहरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकियों के घनिष्ठ एकीकरण को गति दी है, और भविष्य की तकनीकी क्रांति जैव प्रौद्योगिकी और एआई रोबोट के इर्द-गिर्द घूमेगी।
वर्तमान में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार में निवेश बढ़ाना सभी देशों की आम सहमति बन गई है। सभी देश सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी, समुद्री प्रौद्योगिकी, ऊर्जा प्रौद्योगिकी और अन्य वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में अपने प्रयास बढ़ा रहे हैं।
वैश्विक तकनीकी क्रांति का नया दौर एआई प्रौद्योगिकी पर नहीं रुकेगा। हाल के वर्षों में, दुनिया भर के देशों, विशेष रूप से चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने तकनीकी नवाचार के लिए अपना समर्थन बढ़ाना जारी रखा है, और वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान और विकास से संबंधित खर्चों में तेजी से वृद्धि हुई है।
2018 से 2020 तक, अमेरिका में आरएंडडी निवेश की वृद्धि दर लगातार तीन वर्षों तक 6.5 प्रतिशत से अधिक रही है। साथ ही, चीन में आरएंडडी निवेश की तीव्रता भी तेजी से बढ़ी है। 2022 में, चीन का आरएंडडी निवेश यूरोपीय संघ के स्तर से भी अधिक रहा है।
इतिहास में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हर महान विकास के पीछे प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा दिखती है। पश्चिमी शक्तियों के बीच भयंकर प्रतिस्पर्धा के कारण पिछली तकनीकी क्रांतियां हुईं, लेकिन आज यह पूर्वी देशों की बारी है। क्या यह वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति की इस लहर के ऐतिहासिक अवसर को पकड़ सकता है, यह चीन, भारत और अन्य पूर्वी देशों के लिए एक बड़ी परीक्षा है।
यदि हम इससे दोबारा चूक गए, तो भविष्य में हमारे लिए कोई और ऐतिहासिक अवसर तैयार नहीं होंगे। प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति का शांतिपूर्ण समय में व्यापक रूप से उपयोग किया गया है, जिसने उत्पादकता और समृद्धि को काफी बढ़ावा दिया है।
हालांकि, दीर्घकालिक शांतिपूर्ण वातावरण में, बुनियादी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार को अक्सर उपेक्षित किया जाता है।
उदाहरण के लिए, शीत युद्ध की समाप्ति के बाद, अमेरिका ने अनुसंधान एवं विकास और संबंधित प्रौद्योगिकियों के नवाचार के बजाय सार्वजनिक सेवाओं और रक्षा में अधिक निवेश किया।
सकल घरेलू उत्पाद में अमेरिकी सार्वजनिक सेवा व्यय का अनुपात लगातार बढ़ रहा है, विशेष रूप से मेडिकेड का अनुपात साल दर साल बढ़ रहा है।
उधर, सैन्य व्यय का आधा हिस्सा निजी सैन्य ठेकेदारों के हाथों में चला जाता है, जो प्रौद्योगिकी निवेश में गिरावट का कारण बनता है।
सुधार और खुलेपन के बाद से चीनी जीडीपी ने एक बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन आधुनिकीकरण का समर्थन करने वाले उच्च तकनीक उद्योग को अभी भी मजबूत करने की जरूरत है, और विनिर्माण उद्योग अभी भी "बड़े लेकिन मजबूत नहीं" हो जाता है।
हालांकि, चीन का अनुसंधान एवं विकास निवेश तेजी से पश्चिम की बराबरी कर रहा है, फिर भी चिप्स जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकियों के विकास में चीन और अमेरिका के बीच एक बड़ा अंतर है।
चीन की सबसे बड़ी आयात वस्तु चिप्स है, जिसका वार्षिक आयात मूल्य 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक है।
उधर, अमेरिका ने चीन को उन्नतिशील चिप्स निर्यात पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक और तकनीकी क्रांति के नए दौर का मूल पूंजी-केंद्रित "इंटरनेट +" अर्थव्यवस्था के बजाय उन्नत प्रौद्योगिकी उद्यम है।
ऐसी परिस्थितियों में चीन, भारत और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं को निर्णय लेने में ऐतिहासिक अवसरों और परीक्षणों की एक श्रृंखला का सामना करना पड़ेगा।
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Rani Sahu
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