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डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत समेत इन देशों की हवा को कहा दूषित, जानें क्यों

Gulabi
23 Oct 2020 11:35 AM GMT
डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत समेत इन देशों की हवा को कहा दूषित, जानें क्यों
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की आखिरी बहस में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की आखिरी बहस में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत , चीन और रूस की हवा को खराब बताया है. ट्रंप ने पेरिस समझौते से अमेरिका के हटने के अपने फैसले को सही ठहराते समय यह टिप्पणी की है. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई इन देशों की हवा बहुत खराब है या फिर अपना फैसला सही ठहराने के लिए ये सिर्फ ट्रंप की खोखली बयानबाजी है.

क्या है इन तीन देशों का वायु प्रदूषण में स्थान

साल 2019 में दुनिया के देशों के प्रदूषण के हिसाब से क्रम की बात करें तो आईक्यूएयर के मुताबिक PM 2.5 के लिहाज से भारत का स्थान पांचवां, चीन का स्थान ग्यारहवां और रूस का स्थान 81वां है. जबकि अमेरिका 87 नंबर पर आता है. पीएम 2.5 लेवल को देखा जाए तो भारत का 58.08, चीन का 39.12 और रूस का लेवल 9.85 है. वहीं अमेरिका का पीएम लेवल 9.04 है.

भारत का है यह हाल

अगर देश की प्रदूषण की बात की जाए तो देश की हालत वाकई चिंतनीय है. साल 2019 में दुनिया के 30 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से 21 भारत के थे. भारत के वायु प्रदूषण में 51 प्रतिशत उद्योगों का, 27 प्रतिशत वाहनों का 17 प्रतिशत पराली का और 5 प्रतिशत पटाखों का योगदान होता है.

चीन ने किया है सुधार

वहीं चीन की बात करें तो चीन इन पिछले सालों में अपने देश के वायुप्रदूषण में काफी सुधार किया है, उसके बहुत सारे शहरों के पीएम लेवल में उल्लेखनीय गिरावट आई है जिसमें बीजिंग शहर भी शामिल है जो कुछ साल पहले तक अपने बहुत ही खराब प्रदूषण स्तर के लिए बदनाम था.

रूस का हाल बहुत अच्छा भी नहीं

रूस में वायु प्रदूषण के हालात बहुत खराब नहीं हैं तो बहुत अच्छे भी नहीं हैं. बेशक भारत और चीन की तुलना में रूस काफी बेहतर है, लेकिन रूसी स्टेट वेदर और एनवायर्नमेंट सर्विस का मानना है कि 143 रूसी शहरों के 5.6 करोड़ लोग खराब हवा में सांस ले रहे हैं.

अमेरिका भी खुश नहीं

अमेरिका में भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं वहां की पर्यावरण संबंधी तमाम एजेंसियों वहां के हालातों से चिंतित हैं. अमेरिका के औद्योगिक शहरों में प्रदूषण स्तर खतरनाक स्तर पर है. बेशक अमेरिका और रूस में हालात भारत और चीन से बेहतर हैं (अगर पीएम लेवल के स्तरसे बात करें तो), लेकिन वहां स्थिति खुशनुमा हो ऐसा भी नहीं है.

ट्रंप की दलील

ट्रंप का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के लिए उठाए जाने वाले कदमों के प्रयासों के तहत अमेरिका के साथ सही बर्ताव नहीं किया गया इसलिए उन्हें इससे पीछे हटने का फैसला करना पड़ा. ट्रंप भारत और चीन जैसे देशों पर आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ खास नहीं किया.

किसकी कितनी जिम्मेदारी

पेरिस समझौते से अमेरिका के हटने की काफी आलोचना हुई थी. इस मामले में विवाद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठाने वाले कदमों की जिम्मेदारी और खर्चा उठाने की है. अमेरिका और अन्य विकसित देशों का कहना है कि यह पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है जो सभी बराबर तरह से बंटनी चाहिए. वहीं भारत का कहना है कि विकसित देशों ने ही पर्यावरण को अब तक सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है इसलिए उन्हें इसकी ज्यादा जिम्मेदारी उठानी चाहिए.


ट्रंप और अन्य विकसित देश वर्तमान प्रदूषण स्तर को पिछले दो तीन सौ सालों से ज्यादा औद्योगिक गतिविधियों के कारण हुए प्रदूषण के लिए आज की दुनिया को जिम्मेदार मान रहे हैं. पेरिस समझौते से हटने को वे आज के प्रदूषण की स्थिति को बहाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बेशक हर देश की जलवायु परिवर्तन से निपटने की जिम्मेदारी होनी चाहिए, भारत भी यही चाहता है और इस लिहाज से कदम भी उठा रहा है, लेकिन भारत का कहना है कि विकसित देश अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते.

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