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भगोड़े मेहुल को एंटीगुआ ही भेजेगा डोमिनिका, इस वजह से हुआ था फरार

Subhi
28 May 2021 1:00 AM GMT
भगोड़े मेहुल को एंटीगुआ ही भेजेगा डोमिनिका, इस वजह से हुआ था फरार
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डोमिनिका ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत को सौंपने के बजाय वापस एंटीगुआ व बारबुडा ही भेजने का निर्णय लिया है

डोमिनिका ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत को सौंपने के बजाय वापस एंटीगुआ व बारबुडा ही भेजने का निर्णय लिया है। इससे पहले एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउने ने डोमिनिका से मेहुल को सीधे भारत भेजने की अपील की थी। भारतीय अधिकारी चोकसी को जल्द से जल्द वापस लाने के लिए एंटीगुआ से कूटनीतिक संपर्क बनाए हुए हैं।

एंटीगुआ न्यूज रूम ने इन खबरों के बाद दावा किया था कि एंटीगुआ के पीएम ब्राउने ने डोमिनिका से कहा है कि मेहुल को भारत को लौटाए जाने की जरूरत है, जहां उसे आपराधिक आरोपों का सामना करना है। ऐसे में उसे एंटीगुआ को न सौंपा जाए।
लेकिन डोमिनिका की डब्ल्यूआईसी न्यूज टुडे ने वहां के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के हवाले से कहा कि चोकसी पर डोमिनिका में गैरकानूनी तरीके से घुसने का आरोप है और कानूनन उसे उसके गृह देश एंटीगुआ और बारबुडा वापस भेजा जाएगा, जहां का वह पिछले चार साल से वैध नागरिक है। सीआईडी ने चोकसी के अवैध तरीके से क्यूबा या अमेरिका जाने के लिए डोमिनिका में घुसने की योजना से इनकार नहीं किया है।
बता दें कि चोकसी ने 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता हासिल कर ली थी, जहां वह 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में अपने भांजे नीरव मोदी के साथ मुख्य आरोपी बनने के बाद भारत से भागकर रह रहा है।
हालांकि विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारत को पहले ही डोमिनिका के मेहुल को एंटीगुआ को वापस सौंपे जाने का अनुमान था। इसी कारण मेहुल को सीधे भारत लाने के लिए विदेश मंत्रालय के अधिकारी लगातार एंटीगुआ के अधिकारियों के संपर्क में हैं।
सीधे भारत नहीं लाया जा सकता मेहुल : वकील
मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि कानूनन आव्रजन व पासपोर्ट अधिनियम की धारा 17 और 23 के हिसाब से मेहुल को केवल एंटीगुआ निर्वासित किया जा सकता है। वकील ने कहा, भारत नागरिकता कानून की धारा 9 के मुताबिक मेहुल एंटीगुआ की नागरिकता लेते ही भारतीय नागरिक नहीं रह गया था।
इस कारण उसे सीधा यहां नहीं लाया जा सकता। उसे केवल एंटीगुआ को निर्वासित किया जा सकता है। वकील ने कहा, यह शतरंज का खेल नहीं है। हम एक इंसान की बात कर रहे हैं। वह कोई प्यादा नहीं है, जिसे इधर से उधर रखा जा सकता है और यह किसी की इच्छा से नहीं हो सकता। मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा के हिसाब से एक व्यक्ति को केवल उसकी नागरिकता वाले देश में ही निर्वासित किया जा सकता है।
इसलिए बदला था एंटीगुआ का रुख
दरअसल, कोरोना महामारी के दौर में भारत के टीका मैत्री अभियान ने एंटीगुआ के रुख में परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने बेहद विपरीत परिस्थतियों में एंटीगुआ को इस अभियान के तहत एक लाख टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया है। पीएम ब्राउने ने भारत की इस मदद की तारीफ की थी।


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