विश्व
अमेरिका में खोजी श्वान विशेष गंध से कर रहे कोविड मरीजों की पहचान
Renuka Sahu
13 Jan 2022 5:38 AM GMT
x
फाइल फोटो
श्वानों को ईश्वर ने सूंघने की अद्भुत शक्ति दी है। इसके दम पर वे इंसानों को खतरे से बचाने के लिए अपनी जान झोंक देते हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्वानों को ईश्वर ने सूंघने की अद्भुत शक्ति दी है। इसके दम पर वे इंसानों को खतरे से बचाने के लिए अपनी जान झोंक देते हैं। हम यहां अमेरिका के ऐसे खोजी श्वानों (sniffer dogs) का जिक्र कर रहे हैं जो वैश्विक महामारी कोरोना से संक्रमित किसी व्यक्ति की पहचान सूंघ कर कर लेते हैं।
अब तक आपने खोजी श्वानों का उपयोग सेना व पुलिस द्वारा बमों, संदिग्ध वस्तुओं व व्यक्तियों, पहाड़ों पर बर्फ में दबे लोगों को ढूंढ निकालने आदि महत्वपूर्ण कामों को अंजाम देते सुना व देखा होगा। लेकिन अमेरिका में विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान अब कोविड पॉजिटिव रोगियों की पहचान भी करने लगे हैं। यदि इन्होंने आप में कोरोना वायरस की पुष्टि कर दी तो आपको आरटीपीसीआर टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। ये सूंघने की दिव्य शक्ति के दम पर कोविड-19 की पुष्टि कर रहे हैं।
बायो डिटेक्शन के आ रहे काम, कैंसर व डायबिटीज की भी पहचान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में खोजी कुत्तों का इस्तेमाल कैंसर, डायबिटीज व पार्किंनसंस जैसे रोगों की पहचान में भी किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को 'बायो डिटेक्शन' (biodetection) या जैविक पड़ताल कहा जाता है।
इस तरीके से रोग की जांच में किसी रसायन के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ती। 2019-20 में जब कोरोना महामारी फैली थी तो अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना की पड़ताल में खोजी श्वानों की सेवाएं लेने का प्रयोग शुरू किया था। अब इसमें कामयाबी मिल गई है।
कोरोना संक्रमित के शरीर से निकलते हैं वीओसी
अमेरिकी सरकार के नेशनल सेंटर फॉर बॉयो टेक्नालॉजी इंफर्मेशन (NCBI) का कहना है कि श्वान अपनी दिव्य शक्ति के दम पर किसी पदार्थ के 1.5 खरब वे अंश का भी पता लगा सकते हैं। जब कोई बीमार पड़ता है तो उसके शरीर में से खास तरह के वोलेटाइल आर्गेनिक कंपाउंड (VOC) निकलते हैं। ऐसे में जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है तो उसके शरीर से आने वाली विशेष गंध को ये ये श्वान पहचान लेते हैं। इन्हें ही बॉयो डिटेक्शन डॉग्स कहा जाता है।
Next Story