सांकेतिक तस्वीर
दुनियाभर में मंकीपॉक्स के केस बढ़ते जा रहे हैं. इस बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. फ्रांस के पेरिस में इंसान के जरिए कुत्ते के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का मामला सामने आया है. यह दुनिया का पहला दुर्लभ मामला है.
इस केस के बारे में मेडिकल रिसर्च जनरल लैंसेट ने रिपोर्ट प्रकाशित की है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर मंकीपॉक्स अलग आबादी में फैलता है तो इसके विकसित होकर अलग तरह से म्यूटेट होने की पूरी संभावना है. इंसान से कुत्ते में वायरस फैलने का केस सामने आने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अलर्ट जारी किया है. WHO ने मंकीपॉक्स का शिकार होने वाले लोगों को जानवरों के संपर्क में न आने की सलाह दी है.
WHO के आपात निदेशक माइकल रयान के मुताबिक यह एक ज्यादा खतरनाक स्थिति है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई है कि यह वायरस एक ही कुत्ते में एक ही इंसान की तुलना में तेजी से विकसित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है.
मंकीपॉक्स है क्या?
- अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी. तब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण मिला था. इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया है. इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखे थे.
- सीडीसी के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है. ये वायरस उसी वैरियोला वायरस फैमिली (Variola Virus) का हिस्सा है, जिससे चेचक होता है. मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे ही होते हैं. बेहद कम मामलों में मंकीपॉक्स घातक साबित होता है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था. तब कॉन्गो के रहने वाले एक 9 महीने के बच्चे में ये संक्रमण मिला था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे.
- दुनिया में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है. 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. मई 2019 में सिंगापुर में भी नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे लोगों में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई थी.