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असामान्य कोशिकाओं के विकास का जोखिम भी 28 प्रतिशत अधिक था। इसे स्टेज-0 मेलेनोमा या सीटू मेलेनोमा के रूप में जाना जाता है।
मछली कई लोगों की पसंदीदा डिश होती है, लेकिन यदि आप काफी ज्यादा मात्रा में लगातार मछली खाने के शौकीन हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। इससे आप मेलेनोमा कैंसर (एक प्रकार का त्वचा का कैंसर) के शिकार हो सकते हैं। अमेरिका के बच्चों पर किए गए एक बड़े स्तर के शोध में यह बात सामना आई है कि जो लोग बड़ी संख्या में मछली का सेवन करते हैं, (जिसमें टूना और बिना तली हुई मछली भी शामिल है), उनके घातक मेलेनोमा कैंसर का शिकार होने की आशंका काफी अधिक रहती है।
इस शोध से संबंधित लेखक यूनयांग चो के मुताबिक, अमेरिका में मेलेनोमा पांचवां सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। यही नहीं, हर 38 में से एक श्वेत इंसान जीवनभर मेलेनोमा से पीड़ित रहता है। वहीं, 1,000 अश्वेत लोगों में से एक को जबकि 167 हिस्पैनिक लोगों में से एक इस बीमारी का शिकार बनता है। दरअसल, हाल के दशक में अमेरिका और यूरोप में मछली खाने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। वहीं, पिछले कई शोधों में मछली खाने वाले लोगों और मेलेनोमा जोखिम के संबंधों के बीच परिणाम असंगत रहे हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस शोध के निष्कर्षों ने इन दोनों के बीच संबंधों की पहचान की है लेकिन अभी इसमें आगे और भी जांच करने की आवश्यता है।
इस तरह किया अध्ययन: मछली के सेवन और मेलेनोमा के बीच संबंधों की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने 491,367 ऐसे वयस्क लोगों के नमूनों का विश्लेषण किया, जिन्हें 1995 से 1996 के बीच अमेरिका से एनआइएच-एआरपी आहार और स्वास्थ्य अध्ययन में भर्ती किया गया था। इन प्रतिभागियों की औसत आयु 60 साल थी। इन प्रतिभागियों ने बताया कि पिछले वर्ष के दौरान उन्होंने कितनी बार तली हुई मछली, बिना तली हुई मछली और टूना खाई और उनका कौन सा हिस्सा कितनी मात्रा में खाया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने कैंसर रजिस्ट्रियों से प्राप्त आकड़ों का उपयोग करके 15 वर्ष की औसत अवधि में विकसित हुए नए मेलेनोमा की घटनाओं की गणना की।
यह है ज्यादा घातक
शोधकर्ताओं ने पाया कि टूना और बिना तली मछली खाने वाले लोगों में मेलेनोमा और स्टेज-0 का जोखिम काफी ज्यादा होता है। जो लोग रोजाना 14.2 ग्राम टूना मछली खाते हैं, उनमें मेलेनोमा के 20 प्रतिशत और स्टेज-0 का खतरा 17 प्रतिशत ज्यादा पाया गया, उन लोगों के मुकाबले जो प्रतिदिन 0.3 ग्राम खाते हैं। वहीं, प्रतिदिन 17.8 ग्राम बिना तली हुई मछली खाने से मेलेनोमा का खतरा 18 प्रतिशत और स्टेज-0 मेलेनोमा का खतरा 25 प्रतिशत था, उन लोगों के मुकाबले, जो प्रतिदिन 0.3 ग्राम बिना तली मछली का सेवन करते हैं।
इतनी मात्रा में बढ़ जाता है खतरा
अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग प्रतिदिन 42.8 ग्राम मछली का सेवन करते हैं, उनके अंदर उन व्यक्तियों की तुलना में मेलेनोमा का जोखिम 22 प्रतिशत अधिक होता है जो प्रतिदिन 3.2 ग्राम मछली का सेवन करते हैं। वहीं, 42.8 ग्राम मछली प्रतिदिन खाने वाले लोगों की त्वचा की बाहरी परत में असामान्य कोशिकाओं के विकास का जोखिम भी 28 प्रतिशत अधिक था। इसे स्टेज-0 मेलेनोमा या सीटू मेलेनोमा के रूप में जाना जाता है।
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