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रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2010 से 2019 तक रूस ने अपने हथियार निर्यात का एक तिहाई हिस्सा भारत को बेचा है।
रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम को लेकर एक बार फिर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की चर्चा शुरू हो गई है। भारत के दौरे पर आई अमेरिकी उप-विदेश मंत्री वेंडी शर्मन की यात्रा के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने की तैयार कर रहा है। उनकी यात्रा के क्या निहितार्थ है। बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृष्य में भारत के लिए रूस और अमेरिका के साथ रिश्तों को संतुलित करने की क्या है बड़ी चुनौती। इन सारे मुद्दो पर जानते हैं प्रो. हर्ष वी पंत (आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली में निदेशक, अध्ययन और सामरिक अध्ययन कार्यक्रम के प्रमुख) की राय।
भारत के समक्ष क्या धर्मसंकट है ?
निश्चित रूप से एस-400 मिसाइल पर अमेरिकी रुख भारत के लिए धर्मसंकट का विषय है। दरअसल, शीत युद्ध के दौरान भारत और रूस यानी सोवियत संघ के साथ मधुर संबंध रहे हैं। उस वक्त भारत का स्टैंड साफ था। दूसरी ओर करीब डेढ़ दशक से अंतरराष्ट्रीय परिदृष्य मे काफी बदलाव आया है। करीब 15 वर्षों से भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा साझेदारी बढ़ी है। भारत में उदारीकरण के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आई है। क्वाड के गठन के बाद दोनों देश एक दूसरे के नजदीक हुए हैं। भारत, रूस के साथ अपनी पुरानी दोस्ती के साथ अपनी रणनीतिक जरूरतों के प्रति संजीदा है। दूसरे, रूसी एस-400 मिसाइल भारत की रक्षा प्रणाली के लिए भी जरूरी है। ऐसे में दोनों देशों के बीच संबंधों को बनाए रखना भारतीय कूटनीति के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह भारत के लिए एक धर्मसकट की स्थिति है।
भारत के लिए क्यों जरूरी है रूस ?
देखिए, भारत और अमेरिका भले ही रणनीतिक रूप से एक दूसरे के समीप आए हैं, लेकिन भारत अब भी अपनी रक्षा जरूरतों का 80 फीसद से ज्यादा सैन्य उपकरण रूस से ही खरीदता है। हाल के वर्षों में इजरायल और अमेरिका भी भारत के लिए एक मजबूत रक्षा साझेदार के रूप में उभरे हैं।
रूस के साथ भारत का रक्षा सौदा एस-400 तक ही सीमित नहीं है। रूस भारत की तोनों सेनाओं के लिए रक्षा उपकरण मुहैया कराता रहा है। भारतीय वायु सेना में रूसी मिग-29 और सुखोई-30 अत्यंत प्रभावकारी हैं। इसी तरह से नौ सेना के बेड़े में भी रूसी जेट और पोत शामिल हैं। भारत ने रूस से परमाणु शक्ति से लैस सबमरीन का भी आर्डर दिया है। भारत और रूस के बीच एक मजबूत रक्षा सहयोग है। यह समाप्त नहीं हो सकता। स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2010 से 2019 तक रूस ने अपने हथियार निर्यात का एक तिहाई हिस्सा भारत को बेचा है।
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