x
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के बीच पिछले सप्ताह हुई वार्ता में यूक्रेन संकट और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियां महत्वपूर्ण मुद्दे रहे। इन दोनों मुद्दों पर दोनों पक्षों के समान विचार रहे।दिल्ली में आगामी जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि फ्रांस और इसके पश्चिमी सहयोगी देशों का मानना है कि जी-20 की बाली में हुई शिखर बैठक के बाद से यूक्रेन मामले में कोई सुधार नहीं हुआ है। वे पिछले वर्ष के संयुक्त घोषणा-पत्र में यूक्रेन संकट को लेकर किए गए वादे से कम पर कोई समझौता भी नहीं करेंगे।
जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत दिल्ली में सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणा पत्र में यूक्रेन संकट को लेकर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है। यूक्रेन संकट से संबंधित विषय वस्तु को लेकर पश्चिमी देशों और रूस-चीन के गठजोड़ के बीच गहरे मतभेद रहे हैं। यूक्रेन संकट से संबंधित दो पैरे जी-20 के बाली घोषणा-पत्र से लिए गए हैं।
रूस और चीन ने पहले यूक्रेन संकट को लेकर बाली घोषणा पत्र के दो पैरों पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन इस वर्ष वे इससे पीछे हट गए हैं, जिससे इस जटिल मुद्दे पर आम सहमति बना पाने में भारत को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उधर, सूत्रों का कहना है कि फ्रांस और इसके सहयोगी देश बाली घोषणा पत्र में बनी सहमति से कम से समझौता नहीं करेंगे। हालांकि, फ्रांस जी-20 की भारत की अध्यक्षता सफल बनाने के लिए भारत को मदद कर रहा है।
Next Story