विश्व
पाकिस्तान में हिन्दुओं से फिर भेदभाव, आखिर इतना क्यों सोच रहे मंदिर के लिए जमीन देने में पाकिस्तानी अधिकारी
Renuka Sahu
10 Nov 2021 2:10 AM GMT
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फाइल फोटो
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले भेदभाव के मामले किसी से छुपे नहीं है। कभी यहां मंदिरों पर हमला किया जाता है तो कभी लोगों का शोषण किया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले भेदभाव के मामले किसी से छुपे नहीं है। कभी यहां मंदिरों पर हमला किया जाता है तो कभी लोगों का शोषण किया जाता है। यह सब यही आकर नहीं रूकता है। प्रशासन भी इन सब मे पूरी भागीदारी निभाता है, यही कारण है कि प्रशासन को मंदिर बनवाने के लिए जगह देने में इतनी परेशानी होती है। बता दें कि पाकिस्तान की राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद में शहर विकास प्राधिकरण (सीडीए) ने एक मंदिर के लिए भूमि का आवंटन रद्द कर दिया था। हालांकि बहुत बवाल होने पर उसे फिर से बहाल कर दिया गया।
इससे पहले अधिकारियों ने शीर्ष अदालत से कहा था कि हिंदू समुदाय को किए गए भूमि के आवंटन को रद्द कर दिया गया है। राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) ने सोमवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान भूखंड के आवंटन को रद्द करने की जानकारी दी। सीडीए के वकील जावेद इकबाल ने अदालत को बताया कि नगर निकाय एजेंसी ने इस साल फरवरी में भूखंड को रद्द कर दिया था, क्योंकि इसपर निर्माण शुरू नहीं हुआ था।
खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद में एच-9/2 में चार कनाल (आधा एकड़) भूमि 2016 में समुदाय को पहले हिंदू मंदिर, श्मशान और सामुदायिक केंद्र के निर्माण के लिए आवंटित की गई थी। भूखंड के आवंटन को रद्द करने की खबर के बाद, मुख्यधारा की मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया ने सीडीए की आलोचना की, जिससे उसे अधिसूचना वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सीडीए के प्रवक्ता सैयद आसिफ रज़ा ने कहा कि सरकार के एक निर्णय के बाद विभिन्न कार्यालयों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को किए गए उन सभी भूखंडों के आवंटन रद्द कर दिये गए थे, जिन पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि नगर निकाय एजेंसी के संबंधित अधिकारियों ने कैबिनेट के फैसले की गलत व्याख्या की और हिंदू समुदाय को आवंटित भूखंड को भी रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए आवंटित जमीन पर चारदीवारी के निर्माण की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है, इसलिए इस पर कैबिनेट का फैसला लागू नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि यह भूखंड उस श्रेणी में नहीं आता, जहां निर्माण शुरू नहीं हुआ है। प्रवक्ता ने नए आवंटन पत्र की एक प्रति भी साझा की जो कहती है, " इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9/2 में हिंदू समुदाय को मंदिर, सामुदाय केंद्र और श्मशान के लिए आवंटित भूखंड वैध है, क्योंकि यह कैबिनेट के 22 सितंबर 2020 के फैसले के तहत नहीं आता है।" यह पूछे जाने पर कि क्या सीडीए कैबिनेट के फैसले की गलत व्याख्या करने वालों के खिलाफ कोई जांच शुरू करेगा, उन्होंने कहा, "वास्तव में, इस मामले में कोई गलत इरादा नहीं था।" उन्होंने कहा, "कैबिनेट के फैसले को लेकर भ्रम और गलतफहमी थी और जब मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, तो आवंटन तुरंत बहाल कर दिया गया।"
पिछले साल जुलाई में दक्षिणपंथियों ने सरकारी धन से एक हिंदू मंदिर बनाने के इरादे के लिए कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और सरकार की आलोचना की थी, जिसके बाद सीडीए ने समुदाय को भूखंड की चारदीवारी का निर्माण करने से रोक दिया था। बहरहाल, मामला दिसंबर में सुलझा लिया गया था, जब शहर के प्रबंधकों ने समुदाय को प्रस्तावित जमीन पर चारदीवारी का निर्माण करने की इजाजत दे दी थी। इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय के लिए कोई मंदिर और श्मशान नहीं है। समुदाय के बहुत प्रयासों और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के निर्देश के बाद, सीडीए ने 2016 में समुदाय को चार कनाल जमीन आवंटित की थी। इस्लामाबाद के सईदपुर गांव में पहले एक मंदिर हुआ करता था, लेकिन दशकों पहले उसे वीरान छोड़ दिया गया।
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