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क्या मंगल ग्रह पर चल निकली हेलिकॉप्टर टेक्नॉलजी? पढ़ें पूरी खबर

Gulabi
25 July 2021 2:04 PM GMT
क्या मंगल ग्रह पर चल निकली हेलिकॉप्टर टेक्नॉलजी? पढ़ें पूरी खबर
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इसने हवा में 165.4 सेकंट बिताए। Ingenuity की 'खोजबीन' से Perseverance रोवर को आगे क्या करना है

वॉशिंगटन: लाल ग्रह पर जीवन की खोज के साथ-साथ रोटरक्राफ्ट टेक्नॉलजी को टेस्ट करने गए हेलिकॉप्टर Ingenuity ने एक और बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। धरती के अलावा पहली बार किसी और ग्रह पर उड़ान भरने वाले हेलिकॉप्टर 10 फ्लाइट पूरी कर ली हैं और इसके साथ ही कुल एक मील (1.2 किमी) की दूरी तय कर ली है। एजेंसी ने बताया है कि इसकी 10वीं फ्लाइट अब तक की सबसे जटिल थी। Ingenuity ने 10वीं फ्लाइट के लिए 'Raised Ridges' नाम के इलाके को चुना। इस दौरान सबसे ज्यादा 12 की ऊंचाई को भी छुआ। फ्लाइट के बाद हेलिकॉप्टर अपने टेकऑफ जोन से 95 मीटर पश्चिम की ओर सातवीं एयरफील्ड में लैंड हुआ। इसने हवा में 165.4 सेकंट बिताए। Ingenuity की 'खोजबीन' से Perseverance रोवर को आगे क्या करना है, यह तय करने में मदद मिलती है।

खतरनाक जगहों पर भी पहुंच

इससे पहले 9वीं फ्लाइट के दौरान हेलिकॉप्टर ने 2 मिनट और 46 सेकंड हवा में बिताए थे। इसके लिए यह 'Séítah नाम के क्षेत्र से गुजरा। इस जगह को रोवर की मदद से नैविगेट करना मुश्किल होता है। ऐसे ही समय में रोटरक्राफ्ट टेक्नॉलजी काम आती है। जहां रोवर या कक्षा में चक्कर काट रहे ऑर्बिटर की नजरें नहीं पहुंच पाती हैं, वहां Ingenuity पहुंच जाता है।

भारतीय स्टूडेंट ने दिया था नाम
मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।
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