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क्या डायनासोर भी मरते थे फ्लू जैसे संक्रमण से, शोधकर्ताओं को मिली ये जानकारी

Gulabi
12 Feb 2022 3:09 PM GMT
क्या डायनासोर भी मरते थे फ्लू जैसे संक्रमण से, शोधकर्ताओं को मिली ये जानकारी
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क्या डायनासोर भी मरते थे फ्लू जैसे संक्रमण से
लाखों करोड़ों साल पहले डायनासोर (Dinosaurs) कैसे रहते थे क्या खाते थे और उनका जीवन कैसा होता था. इस तरह की बहुत सारी जानकारी हमारे वैज्ञानिकों ने डायनासोर के जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन से निकाली हैं. नए अध्ययन में उनके स्वास्थ्य के बारे में भी एक अनोखी जानकारी मिली है. उन्होंने पाया है कि डायनासोर भी आज के इंसानों की तरह खांसी, छींकें, तेज बुखार और भारी सरदर्द जैसी समस्याओं से परेशान रहते थे. 32 साल पहले मिले सॉरोपॉड (Sauropods) इस जीवाश्म का अध्ययन 22 साल पहले शुरु हुआ था. जिसके सीटी स्कैन से यह अनोखी जानकारी हासिल हुई है.
14 से 20 करोड़ साल पहले
हाल ही में शोधकर्ताओं ने सॉरोपॉड नाम के शाकाहारी डायनासोर की लंबी गर्दन में श्वास संबंधी बीमारी के पहली बार लक्षण देखे हैं जो आज के पश्चिमी अमेरिका में जुरासिक काल (20.1 से 14.5 करोड़ साल तक) के दौरान रहा करता था. जिस जीवाश्म के जरिए वैज्ञानिकों ने यह जानकारी हासिल की उसे उन्होंने डॉली नाम दिया है.
गर्दन की हड्डियों में गड़बड़ी
शोधकर्ताओं ने पायाकि डॉली के गर्दन की हड्डियों की संरचनाओं में गड़बड़ी थी. वे कशेरुकाएं हवा की थैलियों के जरिए फेफड़ों से जुड़ी थीं और सॉरोपॉड की श्वसन तंत्र का हिस्सा थीं शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हड्डियों में असामान्यता श्वसन संक्रमण के कारण थी जिसकी वजह से डॉली की 15 से 20 साल की उम्र में ही मौत हो गई होगी.
फ्लू जैसी गंभीर श्वसन बीमारियां
शोधकर्ताओं को यह नहीं पता चला कि किसी तरह के सूक्ष्मजीव के कारण सॉरोपॉड को यह बीमारी हुई थी. लेकिन इससे यह जरूर पता चला कि डायनासोर भी फ्लू जैसी गंभीर श्वसन बीमारी वाली स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं जैसा की आधुनिक पक्षियों और लोगों में देखा जाता है.
32 साल पहले मिला जीवाश्वम
यह अध्ययन हाल ही में साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है. जीवाश्म विज्ञानियों को यह जीवाश्म साल 1990 में पश्चिमी अमेरिका के मोंटाना में बोजमैन के पास मिला था जिसमें खोपड़ी के साथ अधूरी गर्दन भी थी. इसे वे संक्षरण करने वाली प्लास्टर जैकेट में लपेट कर वे रॉकी पर्वतों के पास के म्यूजियम में अध्ययन के लिए ले आए थे.
किस प्रजाति के सॉरोपॉड
इस MOR 7029 जीवाश्वम का मोंटाना में माल्टा के ग्रेट प्लेन्स डायनासोर म्यूजियम के निदेशक एक दशक से भी ज्यादा समय तक अध्ययन ही नहीं हुआ. इसके बाद साल 2000 के मध्य से इसका अध्ययन शोधकर्ताओं ने शुरू किया. उन्होंने पाया कि यह जीवाश्वम डाइप्लोडोकस परिवार के डाइप्लोडो सिडे प्रजाति का है.
सीटी स्कैन से पता चला
आधुनिक पक्षी के नातेदार, लेकिन स्तनपायी जीवों से अलग सॉरोपॉड्स के श्वसन तंत्र हवा की थैलियों का नेटवर्क है जो फेफड़ों से संबंधित है. सॉरोपॉड में श्वसन ऊतक गर्दन की कशेरूकाओं से जुड़े थे जिसे प्लूरोसील कहते हैं जो ग्लास की तरह चिकने होते थे. सीटी स्कैन से पता चला कि डॉली की प्लोसीन की सीमाएं बहुत अनियमित थीं. इसी से पता चला की उनमे संक्रमण था और उससे उन्हें सांस संबंधी समस्या रही होगी.
श्वसन संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और परजीवियों से होता है. विस्तार में जानने के लिए शोधकर्ताओं ने डायनसोर के आज के वंशजों यानि आधुनिक पक्षियों के श्वसन तंत्र का अध्ययन किया इसके अलावा शोधकर्ताओं ने डायनासोर के दूर के रिश्तेदार आधुनिक सरीसृपों का भी अध्ययन किया. माना जा रहा है कि डायनासोर को फफूंद का संक्रमण होता होगा. फिर अभी स्पष्ट रूप से जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है
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