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अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद, तालिबान ने गुरुद्वारे से हटाए गए निशान साहिब को फिर से लगाया

Rani Sahu
8 Aug 2021 4:06 PM GMT
अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद, तालिबान ने गुरुद्वारे से हटाए गए निशान साहिब को फिर से लगाया
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अफगानिस्तान के पख्तिया प्रांत में गुरुद्वारे से हटाए गए निशान साहिब को फिर से लगा दिया गया है

अफगानिस्तान के पख्तिया प्रांत में गुरुद्वारे से हटाए गए निशान साहिब को फिर से लगा दिया गया है। लगातार बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव और भारत की निंदा के बीच तालिबान के आतंकियों को झुकना पड़ा है। तालिबान अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारा थाला साहिब का दौरा करके धार्मिक झंडा वापस लगाया है। तालिबान ने यह भी कहा कि गुरुद्वारा अपने रीति-रिवाजों के अनुसार काम करता रहेगा।

चमकनी इलाके में स्थित इस गुरुद्वारे में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी भी आ चुके हैं। गुरुद्वारे के केयरटेकर रहमान चमकनी के अनुसरा कल रात निशान साहिब को पूरे सम्मान के साथ एक बार फिर ऐतिहासिक गुरुद्वारे पर लगाया गया। रहमान ने अपने समुदाय की तरफ से अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों की सराहना भी की।
भारत ने की थी घटना की निंदा
निशान साहिब हटाए जाने के बाद भारत ने शुक्रवार को इस घटना की निंदा की थी। इसके साथ ही अपने दृढ़ विश्वास को दोहराया कि अफगानिस्तान का भविष्य ऐसा होना चाहिए, जहां अल्पसंख्यकों और महिलाओं सहित अफगान समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा हो। भारत इससे पहले भी अफगानिस्तान में अमन और शांति की बात करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने इस मामले में चर्चा की थी।
अफगानिस्तान में बढ़ी हिंसा
यूएस और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में हिंसा बढ़ी है। तालिबान ने देश के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है। वहीं प्रमुख शहरों पर काबू पाने के लिए अफगान सुरक्षा बलों और तलिबान के आतंकियों के बीच युद्ध चल रहा है। इस वजह से अफगानिस्तान के लोग बड़ी संख्या में विस्थापित होने पर मजबूर हो गए हैं।
30 सिख नागरिकों की हत्या
पिछले वर्ष अफगानिस्तान में सिख नेता निदान सिंह सचदेवा का तालिबान ने गुरुद्वारे से अपहरण कर लिया था। सरकार और समुदाय के कई प्रयासों के बाद उन्हें छोड़ा गया था। इससे पहले काबुल में एक पूजा स्थल पर इस्लामिक स्टेट ने आतंकी हमला किया था। जिसमें करीब 30 सिख नागरिकों की मौत हो गई थी। हालांकि इसके पीछे हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा का हाथ बताया गया है।


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