खाद्यान्न निर्यात समझौते से रूस के अलग हो जाने के बावजूद काला सागर में यूक्रेनी मालवाही जहाजों का आवागमन जारी है। सोमवार को यूक्रेन के बंदरगाहों से 3,54,500 टन खाद्यान्न लेकर 12 जहाज अन्य देशों के लिए रवाना हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से समझौते में समन्वयक की भूमिका निभा रहे आमिर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि मालवाही जहाजों को सेना द्वारा न निशाना बनाया जा सकता है और न ही उन्हें बंधक बनाया जा सकता है।
120 दिनों के लिए हुआ था खाद्यान निर्यात समझौता
संयुक्त राष्ट्र के प्रयास से जुलाई में हुए रूस, यूक्रेन और तुर्किये के समझौते से करीब 100 दिन से खाद्यान्न का निर्यात हो रहा है। लेकिन 120 दिनों के लिए हुआ यह समझौता रूस ने पहले ही तोड़ दिया। इसके लिए उसने काला सागर में रूसी नौसैनिक बेड़े पर हुए हमले को कारण बताया है। रूस के इस फैसले से पूरी दुनिया में बेचैनी फैल गई है।
रूस-यूक्रेन 35 प्रतिशत खाद्यान्न करते हैं निर्यात
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भुखमरी फैलने की आशंका जताई है। बता दें कि रूस और यूक्रेन खाद्यान्न के बड़े निर्यातक देश हैं। दोनों देश दुनिया की कुल खपत का करीब 35 प्रतिशत खाद्यान्न निर्यात करते हैं। सोमवार को जो खाद्यान्न यूक्रेन से भेजा गया है वह उसका एक हिस्सा सूखाग्रस्त अफ्रीकी देशों में जाना है। वहां संयुक्त राष्ट्र ने 40 हजार टन खाद्यान्न सहायता स्वरूप भेजने का निर्णय लिया है।
समझौते टूटने के बाद गेहूं की कीमत बढ़ी
रूस के समझौते से अलग होने की खबर से सोमवार सुबह अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं का मूल्य पांच प्रतिशत बढ़ गया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूस दुनिया को भूख का डर दिखाकर ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है। तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने कहा है कि इस समझौते से रूस को यूक्रेन जैसा लाभ नहीं हो रहा था, लेकिन मानवता की सेवा के लिए समझौते को जारी रखने की कोशिश होगी। एर्दोगन ने इस समझौते के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।