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अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद मिसाइल और परमाणु हथियारों को कर रहा है विकसित, कहां से पैसे जुटाता है नॉर्थ कोरिया?
jantaserishta.com
8 Feb 2022 2:37 AM GMT
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प्योंगयांग: नॉर्थ कोरिया दुनिया के उन चंद देशों में से है जहां के बारे में दूसरे देशों के लोग कम ही जानते हैं. किम जोंग उन के शासन वाले इस देश की सीमाएं दशकों से सील हैं. इंटरनेट जैसी चीज का इस जमीन पर कोई नामों-निशां तक नहीं है. इस देश में न तो कोई बाहरी जा पाता है न वहां के लोगों को बाहरी दुनिया के बारे में कोई जानकारी मिल पाती है.
कुछ रिपोर्टें दावा करती हैं कि वहां लोगों की हालत बहुत खराब है और गरीबी-भुखमरी की चपेट में वहां की बड़ी आबादी है. लेकिन दुनिया को नॉर्थ कोरिया के बारे में अगर कोई सूचना मिलती भी है तो वहां के परमाणु कार्यक्रमों की, रोज-रोज हो रही बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण की, पड़ोसी साउथ कोरिया से लेकर हजारों किलोमीटर दूर बसे अमेरिका तक को मिसाइल अटैक की धमकियों की और किम जोंग उन की इस सीक्रेट दुनिया में असंतुष्ट लोगों को तरह-तरह की मिल रही सजाओं की...
नॉर्थ कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रमों को लेकर साल 2006 से ही अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. दुनियाभर में लोगों के मन में हमेशा ये सवाल उठता रहता है कि ऐसा देश जो न तो किसी और देश से व्यापार करता है, न हीं किसी देश से जुड़ा है, न तो उद्योग धंधे-मल्टीनेशनल कंपनियों की वहां तक पहुंच है. ऐसे में रोज-रोज नई मिसाइलें बनाने, उनके परीक्षण और परमाणु कार्यक्रमों के लिए नॉर्थ कोरिया के पास करोड़ों-अरबों डॉलर का धन कहां से आ रहा है? यूएन की ताजा रिपोर्ट में इस बारे में कई खुलासे किए गए हैं.
क्या कहा गया है यूएन की रिपोर्ट में?
इसी हफ्ते आई यूएन की ताजा रिपोर्ट में नॉर्थ कोरिया की ओर से परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का शक जताया गया है तो मिसाइलों के कार्यक्रम के तेज होने को लेकर चिंता भी जताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉर्थ कोरिया मिसाइलों को बनाने, तेजी से उनकी तैनाती, समुद्र के रास्ते उन्हें लाने-ले जाने और मिसाइल ताकत में तेजी से बढ़ोत्तरी करने की दिशा में है.
पिछले कुछ सालों से लगातार किम जोंग उन का नॉर्थ कोरिया मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण करता आ रहा है. नॉर्थ कोरियाई शासक किम जोंग उन का दावा है कि उनके पास अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइलें हैं. जनवरी 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के सत्ता संभालने से ठीक पहले नॉर्थ कोरिया ने सबमरीन से बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण करके इसे दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बताया. तब से एक साल में लगातार मिसाइलों के परीक्षण और जापानी समुद्र की ओर उन्हें दागने का सिलसिला दिखता आया.
सिर्फ पिछले महीने यानी जनवरी 2022 में ही नॉर्थ कोरिया ने बैलिस्टिक मिसाइलों के 9 परीक्षण किए. घातक हथियारों के निर्माण की प्रक्रिया में लगे इस देश के इतिहास में किसी भी एक महीने में ये सबसे बड़ा आंकड़ा है. 2017 में नॉर्थ कोरिया ने 4500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल और बाद में 8000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली Hwasong-14 बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण का दावा किया और कहा कि उसके पास अब अमेरिका के किसी भी हिस्से तक मार करने की क्षमता है. Hwasong के 15वें वर्जन के 10,000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार करने की क्षमता का दावा नॉर्थ कोरिया करता है.
कहां से पैसे जुटाता है नॉर्थ कोरिया?
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूएन की रिपोर्ट कहती है कि अपने परमाणु कार्यक्रमों और मिसाइलों के लिए पैसे जुटाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर साइबर अटैक कर पैसे की उगाही इस देश के लिए आय का प्रमुख स्रोत है. ये रिपोर्ट यूएनएससी प्रतिबंध कमेटी के सामने इसी हफ्ते पेश की गई. और इसमें नॉर्थ कोरिया के सीक्रेट वीपन प्रोग्राम के बारे में कई दावे किए गए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज और वित्तीय संस्थाओं पर साइबर अटैक से पैसे जुटाना नॉर्थ कोरिया के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत है. साइबर अटैक से साल 2020 में और साल 2021 के मध्य तक नॉर्थ कोरियन साइबरअटैकर्स ने नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और एशिया के तीन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से ही 50 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम चुरा ली. साइबर सिक्योरिटी फर्म चाइना एनालिसिस की पिछले महीने की रिपोर्ट का भी इसमें जिक्र है जिसमें कहा गया है कि पिछले साल नॉर्थ कोरिया ने डिजिटल एसेट्स से 400 मिलियन डॉलर से अधिक की रकम की उगाही के लिए क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म्स पर 7 से अधिक साइबर अटैक किए. यूएन मॉनिटर्स की साल 2019 की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि हथियारों के अपने कार्यक्रमों के लिए नॉर्थ कोरिया ने साइबर हमलों से करीब 3 बिलियन डॉलर की रकम जुटाई.
यूएन की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण सीमाओं पर भी सख्ती बढ़ गई है. ऐसे में प्रतिबंधों को धत्ता बताते हुए अवैध व्यापार और लग्जरी आइटम्स के कारोबार को भी नॉर्थ कोरिया ने काफी तेजी से बढ़ाया है. 2006 के बाद से लगे प्रतिबंधों में यूएन ने नॉर्थ कोरिया से कोयला, लोहा, लीड, टेक्सटाइल, सीफूड के निर्यात पर जहां बैन लगाया था वहीं कच्चे तेल और अन्य पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के आयात पर भी प्रतिबंध लगाया था लेकिन सीमा इलाकों के साथ-साथ समंदर के रास्ते से अवैध तरीके से इन चीजों की आवाजाही के जरिए खूब धन बनाया गया. वहां भुखमरी के हालात की रिपोर्टें तो आती हैं लेकिन सीमाओं के बंद होने के कारण नॉर्थ कोरिया को लेकर असल हालात जमीन पर क्या है इस बारे में पक्के तौर पर कुछ कह पाना अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए भी मुश्किल ही है.
चीन क्यों है अहम?
आज भी दुनिया से संपर्क के लिए पड़ोसी देश चीन नॉर्थ कोरिया के लिए एकमात्र संपर्क स्रोत है. क्रिप्टो हैकिंग, साइबर अटैक के जरिए उत्तर कोरिया न केवल बड़ी पूंजी जुटा रहा है बल्कि तकनीक और मिसाइलों के लिए जरूरी सामग्री का जुगाड़ भी इसी रास्ते किया जा रहा है. जिसमें चीन की ओर से सीक्रेट सपोर्ट नॉर्थ कोरिया के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है. यूएन के मंच पर कई देश चीन पर नॉर्थ कोरिया को मदद पहुंचाने का आरोप पहले से ही लगाते रहे हैं. हाल में जब यूएन में नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध कड़े करने का प्रस्ताव आया था तो चीन और रूस ने प्रस्ताव को पास नहीं होने दिया इसपर पश्चिमी देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
क्या जानते हैं हम नॉर्थ कोरिया के बारे में?
दुनिया के इस सबसे रहस्यमयी देश का शासन 38 साल के किम जोंग उन के हाथों में है. साल 2011 से नॉर्थ कोरिया में किम का शासन है. किम की रईसी और विरोधियों के लिए सख्त सजा की बातें तो सुनने में काफी आती हैं लेकिन किम के पास कितनी निजी दौलत है इस बारे में कोई स्पष्ट रिपोर्ट सामने नहीं आ पाती. हालांकि, साउथ कोरिया की बैंक ऑफ कोरिया की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में नॉर्थ कोरिया की जीडीपी 30,805 बिलियन साउथ कोरियन वॉन की थी. जो कि अब कई गुना ज्यादा होने का अनुमान है.
प्योंगयांग नॉर्थ कोरिया की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है. इस देश की आबादी ढाई करोड़ के करीब बताई जाती है. किम जोंग उन का साल 2011 से यहां शासन है. पिता किम जोंग इल के निधन के बाद किम जोंग उन ने कोरिया का शासन संभाला था. 1948 में कोरिया के बंटवारे और नॉर्थ कोरिया के अस्तित्व में आने के बाद से किम फैमिली का हीं यहां शासन है. यहां के लोगों का दुनिया से कोई संपर्क नहीं है और कड़ी बंदिशों के बीच दुनिया के लोगों को नॉर्थ कोरिया के बारे में भी कम ही जानकारी है.
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