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आटे-दाल का मोहताज पाक का ध्यान अब भी परमाणु बमों पर

Rani Sahu
19 March 2023 9:27 AM GMT
आटे-दाल का मोहताज पाक का ध्यान अब भी परमाणु बमों पर
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इस्लामाबाद । साल 1947 में विभाजन के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान में यूं तो कभी स्वर्णिम काल नहीं रहा, लेकिन वर्तमान में उसके सबसे बुरे दिन चल रहे हैं। लोगों के पास न रोजगार है और न ही खाने को रोटी। ऐसी परिस्थितियों में भी पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकताएं आईने की तरह साफ हैं। देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के हालिया बयानों से तो ऐसा ही लगता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बेलआउट पैकेज हासिल करने और एक आम आदमी की मुश्किलें कम करने पर ध्यान लगाने के बजाय पाकिस्तान सरकार का ध्यान देश के परमाणु कार्यक्रम पर है। वित्त मंत्री इशाक डार ने गुरुवार को एक सवाल के जवाब में कहा कि उनकी सरकार देश के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर कोई समझौता नहीं करेगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कंगाली में भी पाकिस्तानी हुकूमत का ध्यान परमाणु बमों पर क्यों है?
वित्त मंत्री इशाक डार ने गुरुवार को सीनेट में एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन में विश्वास करता हूं। मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि कोई भी पाकिस्तान के परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम पर समझौता करने नहीं जा रहा है, बिल्कुल नहीं। उन्होंने कहा कि किसी को भी पाकिस्तान को यह हुक्म देने का हक नहीं है कि पाकिस्तान कितनी रेंज की मिसाइलें और कौन से परमाणु हथियार रख सकता है। डार बोले कि हम पाकिस्तान के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमें अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है।
डार बयान के कुछ देर बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम एक राष्ट्रीय संपत्ति है, जिसकी रक्षा सरकार करती है। पूरा कार्यक्रम सुरक्षित है और किसी भी तरह के दबाव में नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य के लिए यह ताकत विकसित की गई थी, यह पूरी तरह से उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जारी है। शहबाज ने एक ट्वीट में कहा कि पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के बारे में भ्रामक अटकलें दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
अब बताते हैं कि पाकिस्तानी हुकूमत को इस तरह के बयान क्यों जारी करने पड़े। दरअसल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता और सीनेटर रजा रब्बानी ने देश के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर करते हुए सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के लोगों को यह जानने का पूरा हक है कि क्या मुल्क की परमाणु संपत्ति किसी तरह के दबाव में है? उनका इशारा आईएमएफ बेलआउट पैकेज में हो रही देरी की तरफ था। पाकिस्तानी अधिकारियों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि एक पश्चिमी देश की तरफ से लंबे समय से लॉन्ग-रेंज परमाणु मिसाइलों को छोड़ने की लगातार मांग की जा रही है।
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