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स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पोलैंड में प्रदर्शन, देशभर में सड़कों पर उतरे हजारों लोग

Neha Dani
20 Dec 2021 9:37 AM GMT
स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पोलैंड में प्रदर्शन, देशभर में सड़कों पर उतरे हजारों लोग
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उन्होंने कहा, ‘ये स्वीकार नहीं कर सकते. यहां रहना मेरा कर्तव्य है… यहां तक कि जब भी स्वतंत्रता खतरे में होगी, मैं यहां रहूंगा.’

पोलैंड की दक्षिणपंथी सरकार द्वारा निशाना बनाए जा रहे अमेरिकी स्वामित्व वाले एक टेलीविजन चैनल के बचाव में और मीडिया की स्वतंत्रता (Free Media Protest) की रक्षा के लिए समूचे देश में लोग रविवार को सड़कों पर उतर आए. प्रदर्शनकारियों में बुजुर्ग भी शामिल थे, जिन्होंने दशकों पहले देश के साम्यवादी शासन का विरोध किया था और जो इस बात से चिंतित हैं कि जिस लोकतंत्र की स्थापना में उन्होंने मदद की, वह अब खत्म होता जा रहा है.

कई नागरिक मानते हैं कि पोलैंड की जनवादी दक्षिणपंथी सरकार देश को पश्चिम सभ्यता से दूर कर रही है और अदालतों पर राजनीतिक नियंत्रण लगाने और आलोचनात्मक मीडिया को चुप कराने के प्रयासों के साथ तुर्की या रूस से करीब समझे जाने वाले एक सत्तावादी मॉडल को अपना रही है (Media Freedom Protest). मुख्य विपक्षी दल के नेता डोनाल्ड टस्क ने देश के नागरिकों से एकजुटता दिखाने और नेतृत्व बदलने का आह्वान किया.
क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग?
संसद ने डिस्कवरी इंक को पोलैंड के सबसे बड़े टेलीविजन नेटवर्क टीवीएन में अपने नियंत्रण वाले हिस्से को बेचने के लिए मजबूर करने संबंधी एक विधेयक शुक्रवार को पारित किया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन किए गए. जिससे इस बात का खतरा बढ़ गया है कि मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला होता रहेगा. वारसॉ मेयर और राष्ट्रपति के लिए एक पूर्व विपक्षी उम्मीदवार रफल त्रजास्कोव्स्की (Rafal Trzaskowski) ने कहा, 'ये सिर्फ एक चैनल की बात नहीं है.'
लोगों ने फ्री स्पीच की मांग की
उन्होंने आगे कहा, 'एक पल में इंटरनेट की सेंसरशिप, सूचना के सभी स्वतंत्र स्रोतों को बुझाने का प्रयास है. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.' राष्ट्रपति के आवास के बाहर प्रदर्शन में शामिल हुई 38 साल की महिला एमिलिया जंलॉटिंस्का ने कहा, 'हमें फ्री स्पीच की जरूरत है. मैं चाहूंगी कि राष्ट्रपति इसपर हस्ताक्षर ना करें.' एक चैनल के फुटेज में प्रदर्शनकारियों को पोलिश और यूरोपीय संघ के झंडे लहराते और 'फ्री मीडिया' का नारा लगाते हुए दिखाया गया है. 71 साल के एंड्रजेद लेक ने भी हाथ में पोलैंड और ईयू का झंडा पकड़ा हुआ था. उन्होंने कहा, 'ये स्वीकार नहीं कर सकते. यहां रहना मेरा कर्तव्य है… यहां तक कि जब भी स्वतंत्रता खतरे में होगी, मैं यहां रहूंगा.'

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